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विद्युल्लताको कथा ।
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दूसरे कीमती और मोटे-ताजे, सुन्दर घोड़ोंको तूने क्यों न लिया ? ये तो आजकलमें ही मर जायँगे। समुद्रदत्तने कहा
जो कुछ हो, मैने तो जिनको एक वार ले लिया सो ले लिया। मुझे दूसरे नहीं चाहिए। यह सुनकर पास बैठे हुए लोगोंने कहा-यह मूर्ख और हठी है । इसको समझाना व्यर्थ है। नीतिकारने कहा है-जलसे अग्नि शान्त हो सकती है, छातेसे घाम बचाया जा सकता है, दवाईसे रोग, और मंत्रसे विष दूर किया जा सकता है, अंकुशसे मदोमन्त हाथी और लाठीसे गाय तथा गधा वशमें किया जा सकता है, पर मूर्ख किसी तरह वशमें नहीं किया जा सकता । कहनेका मतलब यह कि शास्त्रोंमें सबका इलाज है, पर मुखौँका कोई इलाज नहीं। ___ अशोक बोला-यह बड़ा ही अभागा है और अभागेको अच्छी वस्तु भी बुरी मालूम देती है । यह कहकर वह घर पर आया और घरके सब लोगोंसे . उसने पूछा-कि समुद्रदत्तको घोड़ोंका भेद किसने दिया ? घरके सब लोगोंने कसमें खा-खाकर अशोकको विश्वास कराया कि हमने घोड़ोंका भेद किसीको नहीं बताया । इतने में किसी पाजीने आकर अशोकसे कमलश्रीका सारा हाल कह सुनाया। अशोक सुनकर मनमें कहने लगा-कमलश्री बड़ी दुष्टा है। जान पड़ता है इसीने समुद्रदत्तको घोड़ोंका भेद बताया है । नीतिकारने ठीक कहा है कि जलमें तेल, पात्रमें
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