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अद्दास सेठकी कथा |
सुबुद्धि मंत्री और सुवर्णखुर चोरको बड़ा क्रोध आया । राजाने कहा- ये सब बातें मैंने भी प्रत्यक्ष देखी हैं । इस बातको सब लोग जानते हैं कि मेरे पिता पद्मोदयने मुझे राज्य देकर दीक्षा ली और वे मुनि हो गये। यह कुंदलता पापिनी है जो सेठकी बातोंको झूठी बतला रही है । मैं सबेरे ही इसको दंड दूँगा | चोरने सोचा- इस स्त्रीका स्वभाव नीच हैं, जो यह जिसके प्रसादसे जी रही है उसके विरुद्ध बात कहती है ।
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२ – मित्र श्री की कथा |
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पने सम्यक्त्व प्राप्त होनेके कारणको कह कर अईदासने मित्र श्री नामकी अपनी दूसरी स्त्रीसे कहा- प्रिये, अब तुम अपने सम्यक्त्व प्राप्त होने के कारणको बतलाओ । मित्रश्रीने तब यों कहना आरंभ किया
मगधदेशमें राजगृह नामका नगर है । वहाँ संग्रामशूर नामका राजा था । कनकमाला उसकी रानीका नाम था । उसी नगर में वृषभदास नामका एक सेठ रहता था । वह सम्यग्दृष्टि था, बड़ा धर्मात्मा था और पात्रोंको दान देना, गुणोंमें अनुराग करना, सबके साथ सुख भोगना, शाखका
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