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सम्यक्त्व - कौमुदी -
सामने तो गुण भी दोष हो जाते हैं। देखो न, नदियोंका पानी कैसा मीठा होता है, पर समुद्रमें मिलनेसे वही खारा हो जाता है - पीने योग्य नहीं रहता । महा पुरुषोंकी संगति से सब कोई ऊँचा पद लाभ कर सकता है। जब गलियोंका पानी गंगाजीमें मिल जाता है तो देवता लोग भी उसे अपने माथे पर चढ़ाने लगते हैं ।
एक दिन सोमदत्तने अपनी मृत्युका समय निकट जान कर गुणपालको पास बुलाकर कहा- आपकी सहायता से मैंने कोई दुःख नहीं जाना । अब मेरा मरण समय आगया है, इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि मेरी इस लड़कीको श्रावक व्रतधारी ब्राह्मणको छोड़कर और किसीको न दीजिएगा । यह कह कर सोमाको उसने गुणपालके हवाले कर दिया और आप समाधिमरणसे प्राणोंको त्याग कर स्वर्ग गया । ग्रन्थकार कहते हैं- विद्या, धन, तप, शूरता, उच्च कुल, नीरोगता, राज्य और स्वर्ग तथा मोक्ष, यह सब धर्मसे प्राप्त होते हैं ।
सोमदत्तके मरे बाद गुणपाल सेठ सोमाको पुत्रीकी तरह पालने लगा । उसी नगरमें रुद्रदत्त नामका एक धूर्त ब्राह्मण रहता था । वह रोज जुआ खेला करता था । एक दिन किसी काम से सोमा रास्तेमें जा रही थी । जुआरी रुद्रदत्तकी उस पर नजर जा पड़ी। रुद्रदत्तने लोगोंसे पूछा- यह किसकी लड़की है ? उनमें से किसीने कहा - यह सोमदत्त
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