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सम्यक्त्व-कौमुदी
जो वृक्ष मूख गये थे, उनमें फल-फूल-पत्ते आगये। वे हरे-भरे हो गये । डालियोंमें नये नये अंकुर फूटे उठे। जिन बावड़ियोंमें पानी और कमल सूख गये थे, उनमें पानी भर गया, कमल फूल उठे । हंस और मोर खेलने लगे। कोयलें मधुर मधुर गाने लगी । जुही, चमेली, पारिजात, चंपा, मालती, कमलिनी आदि विकसित हो गई । उनकी सुगंधके मारे भौंरे उन पर आ-आकर गुन गुन करने लगे । पक्षीगण मधुर मनोहारी गान करने लगे। ___ इसी उपवनमें मुनिराज विराजमान थे। मुनियोंमें जो गुण होने चाहिएँ, जैसे-देहमें निर्ममता, गुरुमें विनय, निरन्तर शास्त्रोंका अभ्यास, निर्दोष चारित्र, परमशान्ति, संसारसे विरक्ति और अन्तरंग परिग्रह-मिथात्व, वेद, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष और बाह्यपरिग्रह-जमीन, घर, धन, धान्य, नौकर, चौपाये, गाड़ी, शय्या, आसन, वर्तन वगैरह-का त्याग, धर्मसम्बन्धी ज्ञान और परोपकारिता, वे सब इनमें विद्यमान थे । इनका मासिक योग जब पूरा हुआ तब ये आहारके लिए कौशाम्बीमें आये । यद्यपि सोमशर्मा कुपात्रोंको दान देता था, पर उसमें दाताके-श्रद्धा, शक्ति, अलोभ, दया, भक्ति, क्षमा और ज्ञान, ये सात गुण थे । तथा पड़गाहना, ऊँचे स्थान पर बैठाना, पादोदक लेना, पूजा करना, प्रणाम करना, मनवचन-कायकी शुद्धि और शुद्ध आहार देना, ये नवधा भक्ति
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