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सम्यक्त्व-कौमुदी
कारोंने यह ठीक कहा है-अविवेकी मनुष्य गुणको ग्रहण न कर दोषोंको ग्रहण करते हैं । स्तनों पर लगी हुई जौंक दूधको न पीकर खूनको पाती है । यह उसका स्वभाव ही है।
३-चन्दनश्रीकी कथा।
इ सके बाद अहदास सेठने अपनी दूसरी स्त्री
-- चंदनश्रीसे कहा-प्रिये, अब तुम अपने
A सम्यक्त्व प्राप्तिका कारण बतालाओ। चन्दनश्री तब यों कहने लगी
कुरुजांगल देशमें हस्तिनापुर नामका एक नगर है । वहाँके राजाका नाम भूभाग था । उसकी रानीका नाम भोगावती था । गुणपाल नगरसेठ था। यह सेठ बड़ा धर्मात्मा और सम्यग्दृष्टि था । इसकी स्त्रीका नाम गुणवती था। इसी नगरमें सोमदत्त नामका एक ब्राह्मण रहता था । पर वह बड़ा ही दरिद्री था। इसकी स्त्रीका नाम सोमिला था। यह बड़ी सती थी। इसके एक लड़की थी । उसका नाम सोमा था। एक दिन सोमिलाको बड़े जोरका बुखार आया और वह उसी बुखारमें मर भी गई। इसके मरनेसे ब्राह्मणको बहुत दुःख हुआ। एक दिन एक मुनिसे ब्राह्मणका साक्षात्कार
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