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सम्यक्त्व-कौमुदी
सारस, चकवा, चकवी आदि पक्षीगण मिलकर सदा किलोलें किया करते थे । बगीचेके फूलोंकी महक चारों तरक उड़ती थी। भौरे वहा आकर गूंजते थे। मतलब यह कि बगीचेमें किसी बातकी कमी न थी । सब तरहसे वह सुन्दर था । लेकिन ताड़ीकी मदिरा पी-पी कर बन्दर पागल जैसे होकर उस बगीचे में बड़ा ऊधम मचाते थे। एक कविने बन्दरके विषयमें कहा है-बन्दर स्वभावहीसे पानी होता है, फिर जिसने मदिरा पीली, जिसे बिच्छूने काट खाया और तिस पर भी जिसे भूत लगा गया फिर उसकी लीलाका क्या पार ? उसका तमाशा तो देखते ही बनता है । निदान बागके मालीने बन्दरोंका उपद्रव देखकर राजासे जाकर कहा । राजाने मालीकी बात सुनकर बर्गाचेकी रखवालीके लिए अपने घरके उन बन्दरोंको भेज दिया, जिन्हें उसने अपने मनोविनोदको लिए रख छोड़े थे। मालीने यह देखकर मनमें विचारा कि काम तो पहलेहीसे विभड़ा हुआ है, तभी तो बागकी रखवालीके लिए बन्दर रखे गये । माली समझ गया राजा अविवेकी है । जिसको विवेक रूपी नेत्र नहीं वह यदि अन्याय रूपी अंधकारमें चले-कुमार्गमें प्रवृत्ति करे तो उसका अपराध ही क्या है ? ___एक नीतिकारने कहा है कि मनुष्यका एक नेत्र तो स्वाभाविक विवेक है और विवेकियोंकी संगति दूसरा । जिसके ये दोनों नेत्र नहीं हैं-जो विवेकी नहीं है और न जिसकी
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