Book Title: Ratanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Author(s): Jawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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५१ निरभिमान व्यक्तित्व
५२
५३
ज्ञान और चारित्र का मणिकांचन योग
जीवनदानी श्रुतसेवी
५४ महान् प्रात्मा मुख्तार सा. ५५ स्मृति के दर्पण में
५६ बाबूजी: इस शताब्दी के टोडरमल
५७ अद्वितीय विद्वान्
५८
५९ शीलवान गुणवान आप थे
६०
सफल स्वाध्यायी
६१ अपूरणीय क्षति
६२ सरल परिणामी
६३ विनम्रता की सजीव मूर्ति
६४ निस्पृह श्रात्मार्थी
:
६५ विद्वानों की दृष्टि में स्व. पं. रतनचन्द मुख्तार ६६ पूज्य श्री नेमिचन्द मुख्तार
रतनचन्द मुख्तार, सहारनपुर वाले
[ २९ ]
श्री रतनलाल जैन एम. कॉम, मेरठ सिटी (स्व.) सरसेठ भागचन्द सोनी, अजमेर श्री कन्हैयालाल लोढ़ा, जयपुर
सेठ श्री बद्रीप्रसाद सरावगी, पटना सिटी
श्री विनोदकुमार जैन सहारनपुर
श्री शान्तिलाल कागजी, दिल्ली (स्व.) सेठ श्री मोतीलाल मिण्डा, उदयपुर
श्री धूलचन्द जैन, चावण्ड जि. उदयपुर
श्री शान्तिलाल बड़जात्या अजमेर
श्री मोहनलाल जैन सेठी, गया बिहार
सेठ श्री हरकचन्द जैन रांची
६७
श्री सौभाग्यमल जैन, भीण्डर
श्री प्रेमचंद जैन, अध्यक्ष अहिंसा मंदिर, नई दिल्ली ६८ ६८ श्री महावीरप्रसाद जैन सर्राफ चांदनी चौक दिल्ली ७० ( संकलन )
७१
श्री विनोदकुमार जैन, सहारनपुर
७५
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कृतित्व : शंका समाधान
(क) प्रथमानुयोग ( ७६-६६ )
१ अनन्तवीर्य मुनि का केवलज्ञान के बाद ५०० धनुष ऊर्ध्वगमन
२
अनादि जैनधर्म के कथंचित् प्रवर्तक
३ श्रनुबद्ध केवलियों के नाम व संख्या
प्रादिनाथ बाहुबली आदि कर्मभूमिया थे
५ आदिनाथ के सहस्रवर्ष तक शुभ भाव रहे थे
६ युगादि में इंद्र द्वारा नवीन जिन मन्दिर स्थापन
७ इमली के पत्तों प्रमाण प्रवशिष्ट भव वाले मुनि कैसे थे ? ८ कृष्ण ने कौनसी पर्याय में सम्यक्त्व प्राप्त किया ? ९ कृष्ण अब सोलहवें तीर्थंकर होंगे
१०
वीर निर्वाण के पश्चात् गौतम आदि ८ केवली हुए ११ # भगवान महावीर के बाद के केवलियों की संख्या
१२ जीवन्धर, महावीर के पश्चात् मोक्ष गये
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