________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रीमदजी की उक्त डायरियों में सामान्यतः विविध विषयोंको अनुलक्षित कर उनके द्वारा किया गया चिंतन ही द्रष्टिगोचर होता है । उनके आंतरिक जीवन की घटनाओं का उल्लेख अल्प प्रमाण में दिखायी देता हैं और जहाँ कहीं उल्लेख मिलते हैं, वे नहीं के बराबर हैं ।
आपश्री दिनांक २३-१०-१९११ बम्बई में लिखते है :
“मनुष्य को प्रतिबोधित करने हेतु नियमित रूप से व्याख्यान देता हूँ । लेकिन आचार-विचारों का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि व्यारव्यान-श्रवण के उपरांत भी उन पर जैसा चाहिण वैसा प्रभाव नहीं पड़ा । इसका मुख्य कारण यह है कि व्यारव्यान में उपस्थित जनता भेडचाल की गति से व्याख्यान श्रवण करती
___ दिनांक २-१-१९१२ वापी में लिखते है ।
"पंच महाव्रत सम्बंधित पाटों का मनन व अनुभव करने पर प्रतीतत होता है कि अभी भी पकखी सूत्र में कहे अनुसार उत्तरकरण चारित्र में परिपूर्णतः प्रवर्त नहीं सकते ।हाँलाकि, पाक्षिक सूत्र के उल्लेखानुसार मैं बतबि करने के लिए प्रयत्नशील हो, उत्साहित हूँ...."
दिनांक १८-१-१९१२ बलसाड में लिखते है :
“आज कल रात्रि के समय ध्यान-समाधि के अभ्यास-सेवन से सहज सुख का अनुभव बढ़ता जा रहा है । लगातार भक्तो के आगमन तथा औपदेशकि प्रवृत्ति के कारण समाधि की गहराई में उतरने का जोरदार अभ्यास नहीं हो सकता । परमार्थिक कार्यों में प्रवृत्ति करने का कार्य अचानक आ जाता है । शुभ-प्रवृत्ति सर्वथा आदेश है | शुभ प्रवृत्ति स्वरुप धर्म-व्यवहार कार्यों के सेवन में अंतर की निर्लिप्ता रखने का प्रयास विशेष रुप से कर रहा हूँ | ध्यान-पीढिका रढ़ करने का कार्य अभी चल रहा है ।ध्यान करने से मन को विश्राम मिलता है ।अत: सहज समाधि का अनुभव प्राप्त होता है।"
दिनांक ३०-१-१९१२ सुरत में लिखते है :
"आत्म -- समाधि प्राप्त कर आत्मसुख प्राप्त करना ही मैं अपना प्रधान कर्त्तव्य मानता हूँ | अतः जतिना संभव है, कर के रहूँगा.... एक कदम भी पीछे नहीं हटूंगा।"
दिनांक ११-४-१९१२ पादग में लिखते है :
'आत्मा में रमणता करने पर आनन्द-रस की झाँकी का अनुभव हाता है । उस समय त्रिभुवन के बाद्य सुख भी तृण समान भासित होते हैं... आत्मा की अतल गहराई में डुबकी लगा कर ग्थिर हुआ मन सचमुच अंतर के आनन्दोल्लास से जीवित रह सकता है । और उसका प्रतिबिंब बाहिर में दृष्टगित होने का आभास होता है ।
For Private and Personal Use Only