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के आचार-विचारों का भी कालःक्रम नियमानुसार सेवन करना चाहिए।
नियमित रूप से समयानुसार कार्य करनेवाला ही सही समय का मूल्यांकन कर सकता है और अपने कार्यकलाप से दूसरों पर प्रभाव डाल सकता है। अंग्रेज अथवा विदेशी अपने निश्चित कार्यक्रमानुसार ही सर्व कार्य पूरे करता है। फलतः प्रवृत्ति-मार्ग के जननायक के रूप में सर्वत्र उनकी पूजा-आराधना होती है। तत्कालीन आर्यावर्त में भी काल-क्रम नियम पद्धति से सभी कार्य सम्पन्न करने का प्रचलन...परम्परा थी। लेकिन वर्तमान में शिक्षा के अभाव के कारण नियत समय पर कार्य करनेवालों की संख्या अल्प प्रमाण में है। वस्तुतः समयानुसार कार्य करने की पद्धति इस देश में चाहिए। इस प्रमाण में अभी पद्धति प्रचलित नहीं हो पायी है। अलबत, अल्पस्वरूप प्रमाण में ही सही उक्त पद्धति का अवलम्बन अवश्य होता है। लेकिन वह नहींवत् ही है। यदि संपूर्ण साधु-संस्था निश्चित कार्यक्रमानुसार काम करना आरम्भ कर दे तो निम्संदेह वह सफलतापूर्वक कई कार्य सम्पन्न कर सकती है। अरे, जापान की सामान्य महिलाएँ तक कार्यक्रमानुसार ही प्रत्येक कार्य करती हैं। फलस्वरूप उनका देश दिन दुगुनी गत चौगुनी प्रगति करने में सफल हुआ है।
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