Book Title: Path Ke Fool
Author(s): Buddhisagarsuri, Ranjan Parmar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 148
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यवहार अपने आप सुशोभित होता है। ___ सत्य, शुद्ध, प्रेम, भक्ति, दया, परोपकार आदि सद्गुणों को विकसित करने का प्रयत्न करना चाहिए। वैसे ही मार्गानुसारी गुण धारण करने से सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है। मार्गानुसारी गुणों का कोई अता-पता न हो और सम्यक्त्व गुण के सामने अभिमान करना, निहायत बुरी बात है और ना ही योग्य है। सर्वगुणों के पहले मार्गानुसारी गुण ग्रहण करने ही आवश्यकता है। सर्व प्रथम मार्गानुसारी गुणों का उपदेश देकर मनुष्य को योग्य बनाने के पश्चात् सम्यक्त्वादि गुणों के प्रति आदर करना चाहिए अर्थात् जीवन में अपनाना चाहिए। १२९ For Private and Personal Use Only

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