Book Title: Path Ke Fool
Author(s): Buddhisagarsuri, Ranjan Parmar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 142
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाहिए। स्मरण रहे, चीखने-चिल्लाने से कभी उन्नति नहीं होती, अपितु सतत कार्य करते रहने से प्रगति होती है । यदि जैन समाज जमाने की हवा से बेखबर रह, पिछदने रहेंगे तो आगे बढ़े दस जैसे माने जाएँगे। मानाकि पुराने पंथी (पुराने लोग) जमाने से दो कदम आगे चलते लोगों की वर्तमानकाल में निंदा करेंगे, उन्हें नाम रखेंगे और सरेआम बदनाम करेंगे । फिरभी भावी पीदी (समाज) के लिए वे श्रद्धा स्थान प्रेरक शक्ति सिद्ध होंगे । हालाँकि कईं बाबत में नये-पुराने विचारों का संमिश्रकार कार्य करने की आवश्यक्ता है । याद रखना, आधुनिक युग ज्ञान न अन्वेषण का है । यदि संकुचित दृष्टि के लोग अर्वाचीन काल को नहीं पहयानेंगे और उसके साथ कदम से कदम मिला कर नहीं चलेंगे तो पिछड जाएँगें । अतः सद सद् विवेक से काम ले, वर्तमान युग को पहचान कर असका अनुसरण करना चाहिए। १२३ For Private and Personal Use Only

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