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४२. विश्व-एक बगीचा
उद्यान में पुष्पित विभिन्न पुष्पों की भाँति मानवोद्यान भी अनेकानेक विचारों की महक से वातावरण को भर देता है। "नंदीमत्र' व "विशेषावश्यक'' में उल्लेख है कि सम्यक-दृष्टि मानव में मिथ्या शास्त्र व विचारों को सम्यक्त्व भाव से रूपान्तरित करने की शक्ति उत्पन्न होती है। -श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी
पादरा दिनांक : १९-३-१९१२
विश्व के विविध लोगों के विचार अवश्य श्रवण करें । लेकिन उक्त विचारों के सम्बन्ध में विवेकपूर्वक चिंतन-मंथन कर आदेय विचारों को ही हृदय में स्थान देवें।
उद्यान में पुष्पित विभिन्न पुष्पों की भाँति मानवोद्यान भी अनेकानेक विचारों की महक से वातावरण को भर देता है। जिन्हें सम्बकत्वपूर्वक ज्ञान हुआ हो, वे मानव-समुदाय के विविध विचारों को सम्यक्त्व के बल पर रूपांतरित कर सकते है। नंदीसूत्र एवं विशेषा वश्यक में उल्लेख है कि, 'सम्यक्-दृष्टि मानव में मिथ्या शास्त्र व विचारों को सम्यक्त्व भाव से रूपांतरित करने की शक्ति उत्पन्न होती है।'
जिस तरह विषधर नाग की विषैली दाढ़े निकाल दी जाएँ तो वह निर्विष हो जाता है। ठीक उसी तरह सम्यकदृष्टि जीव के लिए दुनिया के अनेकानेक विचार भी सम्यक्त्व रूप में परिणत हो जाते हैं।
वास्तव में सम्यक्दृष्टि प्राप्त करने हेतु अनेकाविध शास्त्रों का गहन अध्ययन-अभ्यास करना चाहिए । द्रव्यानुयोग शास्त्रों का अभ्यास कर सम्यगदृष्टि प्राप्त करनी चाहिए।
___ मानवोद्यान जिसकी जैसी इच्छा हो, उसे उक्त विचार रूपी महक से भर देता है। मानव-विचार रूपी वातावरण विभिन्न प्रकार के भिन्न-भिन्न वृक्ष के समान होता है। अतः विवेक-ज्ञान प्राप्त होते ही विचार-वातावरण में से उपयुक्त व उपयोगी विचार प्राप्त कर सकते हैं।
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