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अज्ञाना वस्था में होने के कारण ऐसे सूक्ष्म तथ्य से एकदम अपरिचित जीव एकाध बालक की भाँति बालबुद्धि से उक्त पदार्थों की इच्छा व्यक्त कर कुसंस्कारी को जन्म देते हैं।
मन में रही इच्छाओं के द्वारा जो संस्कार जन्म धारण करते हैं, उनका नाश भी कर सकते हैं। लेकिन ग्वेच्छया काया के माध्यम से उनका भोगोपभोग कर लेने ये तो हट लसदार (चिपचिपे) संस्कार उत्पन्न होते हैं। अतः ज्ञानीजनों कोभूल कर भी ऐसे अशुभ पदार्थों का उपभोग करने की इच्छा अपने मन में उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए।
___मति के अर्थाग्रह. इहा, अपाय एवं धारणा आदि चार भेद इच्छाओं में प्रवर्तित हैं और उनमें अज्ञान तथा अशुद्ध वीर्य का परिगमन होता है।
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