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रसनेन्द्रिय एवं स्पर्शेन्द्रियांदि तीन इन्द्रियाँ नौ योजन से आते अपने-अपने विषयों को उत्कृष्टता के साथ ग्रहण करती हैं ।
__ नौ योजन से आये गंजयुक्त द्रव्य में रस का भी समावेश होता है। फलतः रसनेन्द्रिय उसे सरलता से ग्रहण करती है। जबकि बारह योजन की दूरी के उपरांत के विषयों को श्रोतेन्द्रिय आदि इन्द्रियाँ क्षमता के अभाव में ग्रहण नहीं कर सकती।
__ नयन को छोड, शेष इन्द्रियाँ जघन्य से अंगुल के असंख्यात् में स्थित विषयों को ग्रहण कर सकती हैं। अंगुल के असंख्यात भाग में चक्ष का विषय नहीं। रज, मैल, गंदगी आदि बिलकल पास में रहे पदार्थों को आँख देख नहीं सकती।
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