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इंद्रियादि विषयों को ग्रहण किये बिना हृदय में जिस आनन्द की तरंग उठती है, उसे प्राप्त करने हेतु प्रयत्न करना चाहिए।
___ संभव है, मन को जड़ पदार्थ सुखप्रद नहीं लगें और ना ही दुःखप्रद लगें और वह (मन) आत्मा के साथ जुडा हुआ हो, उस समय जो आनन्दानुभूति होती है वास्तव में वही आत्मिक सुख होता है।
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