________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
में पूरा ज्ञान प्राप्त करने की अत्यंत आवश्यकता है। किन्हीं क्रियाओं के मूल रहस्यों को आत्मसात् कर अपनी क्षमता-काबिलियत अनुसार धार्मिक क्रियाएँ करनी चाहिए।
व्यवहार क्रिया की साधना का मूल रहम्य आत्मा के परिणाम की शुद्धि करना ही है। यह बात कदापि नहीं भूलनी चाहिए। प्रायः निश्चय-दृष्टि का आधार लेकर व्यवहार की आराधना करनी चाहिए। जिस कारणवश कार्य की अमुक मात्रा में सिद्धि न हो, उसे अकारण कहा जाता है।
___ मानसिक शुद्धि द्वारा आत्मिक गुणों का अविर्भाव हों तथा मोह की शक्ति क्षीण होवे, ऐसी प्रवृतियाँ करना यह सर्वस्वी व्यवहार धर्म हैं। . किसी भी लिंग में रहे मानव की आत्मा ज्ञान, दर्शन व चारित्रादि गुणों में
For Private and Personal Use Only