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उपदेशक साधु-महात्माओं को नित्यप्रति अपने आत्मा में गुण प्रकटित करने के विचार करते रहना चाहिए। शांत, दांत, त्यागी व बैगगी साधु प्रायः अपने उपदेश से दूसरों को काफी प्रभावित कर सकते हैं। जबकि जो आजीविका-उपार्जन हेतु उपदेश देते हैं, उनके उपदेश में एक से अधिक विचार व विषय आये बिना नहीं रहते।
उपदेशक प्रायः उपदेश का बीजारोपण सर्वत्र करता रहे। उसका परिणाम कभी भी कहीं भी अंकुरित होगा, इस तथ्य का अहसास कर उसे नियमित रूप से उपदेश-धारा प्रवाहित करते रहना चाहि
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