Book Title: Path Ke Fool
Author(s): Buddhisagarsuri, Ranjan Parmar
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किंचित् प्रास्ताविकम् ........... डायरी साहित्यका एक अनूठा प्रकार है |भारत में यह विद्या अभी फूली-फली नहीं हैं । मूल तो यह पश्चिमकी उपज हैं । डायरी अर्थात् गुजरनेवाले दिन एवं गत्रि के दौरान मानव द्वारा अनुभव की गयी, चिंतन-मनन किये गये विविध विषय तथा उससे सम्बंधित संस्मरणोंका रोजनामचा। डायरी लेखक में रहे साहसका प्रतीक है । सच्चाईका यह एक करार है । निखालिसता के बिना डायरी नहीं लिखी जाती । वस्तुतः हिम्मत, सच्चाई व निखालिसता बिना आलेखित डायरी, डायरी नहीं लगती, बल्कि उसके बिना की डायरी आत्म-प्रशंसा को एक तरह से मटई बन कर रह जाती है । इतिहास में इस प्रकार की संपूर्ण डायरी टोल्सटोय की देखने में आती है । गुजरात में ऐसी डायरी सरस्वतीचंद्र के सर्जक श्री गोवर्जनगमं त्रिपाटी, एक जमाने के कटु आलोयक.... विवेचक श्री नरसिंहराव भोलानाथ दिवेटिया एवं श्री जवेरचंद मेघाणीने आलेखित की हैं। वास्तव में डायरी किसी लेखक की निरी नग्न छवि है । एक प्रकार से इसकी गणना लेखक के जीवन चरित्र की निगेटिव के रूप में कर सकते है । लेखक के जीवन को पूर्णतया समजने का डायरी एक महत्त्वपूर्ण साधन है । डायरी में लेखक अपने अनुभवों का लिपिबद्ध करता है। अपने परिचित का डायरी के माध्यम से वह परिचय देता है । किस प्रसंग पर उसे कैसी अनुभूति हुयी, उसका वह वर्णन करता है । पाप व पुण्य के विचार में निजात्मा किस प्रकार गुजरा, उसका वह निर्मर हो कर वर्णन करता है और वर्तमानकालीन त्रुटियों की नोंद लेकर कल के लिए शुभ निर्णय लेता है । फलतः किसी भी डायरी में उसके लेखक की वास्तविक व स्पष्ट तस्वीर देखने को मिलती है । आज पर्यंत हुए किसी जैन साधु-संतने डायरी लेखन किया हो, एसा कहीं द्रष्टिगोचर नहीं होता । वरन जैन साहित्य के इतिहास में ऐसी डायरी लिखनेवाले श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी एकमेव जैन साधु है । ___ दीक्षा ग्रहण करने के उपरांत आपश्रीने डायरी-लेखन का कार्य सतत जारी रखा था । लेकिन आपकी सभी डायरीयां प्रकाशित नहीं हो सकी । उसमें से ईस्वी सन् १९११ से १९१४ पर्यंत लिखित डायरियाँ 'धार्मिक गद्य संग्रह' एवं 'पत्र सदुपदेश' के २२५ में प्रकाशित हो पायी हैं । For Private and Personal Use Only

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