________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achar
उत्तम भक्त या शिष्य भक्ति कर गुरु से उसके बदले में फल की इच्छा नहीं करते। ठीक उसी तरह जमीन जला कर अनाज बोने की प्रक्रिया की भाँति व्यक्ति के उल्लास व उत्साह की होली जला कर बेगार की तरह भक्ति नहीं करते।
सर्व देशों में सर्वोत्तम भक्तजन पैदा हों!!
राजभक्ति की भाँति गुरुभक्ति भी कभी किसी से छीपी नहीं रह सकती। विषय-वासना सम्बन्धित भक्ति का विपरीत...गलत उपयोग करनेवाले वास्तव में भक्ति-सोपान से च्युत होकर वैषयिक-बंधनों में जकड जाते हैं।
__ जगत् सेवा, सभी का भला करना, बुराइयों का परित्याग आदि का समावेश भक्ति में होता हैं। अतः भक्तिमार्ग पर विचरण करनेवाले लोगों में शुद्ध प्रेम, दया, भातृत्वभाव व परोपकार की भावना कूट-कूट कर भरी पड़ी होती है। लोहचुम्बक की तरह भक्ति में भी अद्भुत आकर्षण शक्ति होती है। परिणामस्वरूप भक्तगण कहीं भी छिपे नहीं रह सकते।
१८
For Private and Personal Use Only