Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( ४१ )
परंपरोपनिधा से निषेक रचना का विचार
गाथा ५२
अर्ध अर्ध हानि के संभवस्थान
गाथा ५३
अवाधा प्ररूपणा
गाथा ५४, ५५.
एकेन्द्रियादि का जघन्य और उत्कृष्ट स्थितिबन्ध एवं तद्विषयक पंचसंग्रह व कर्मप्रकृति का मन्तव्य
गाथा ५६
स्थितिस्थान प्ररूपणा
संक्लेश और विशुद्धि स्थान प्ररूपणा स्थितिस्थान, संक्लेशस्थान, विशुद्धिस्थान का प्रारूप
गाथा ५७, ५८
स्थितिबन्ध में हेतुभूत अध्यवसायस्थानप्रमाण
प्ररूपणा
उत्तर प्रकृतियों की सादि-अनादि प्ररूपणा
गाथा ६४
स्थितिबन्ध की शुभाशुभत्व प्ररूपणा
१६१
१६३ - १९४
१९३
गाथा ५६
२१२–२१४
स्थितिबंधापेक्षा मूल प्रकृति विषयक सादि-अनादि प्ररूपण २१३
गाथा ६०, ६१, ६२
२१५–२१६
२१५
२२०-२२७
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१६५ - १९७
१६५
गाथा ६३
उत्तर प्रकृतियों की उत्कृष्ट और जघन्य स्थितिबंध की
स्वामित्व प्ररूपणा
उत्कृष्ट और जघन्य स्थितिबंध - स्वामित्व का प्रारूप
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१९७-२०१ १६८
२०१ - २०८
२०२
२०५
२०८
२०६ - २१२
२०६
२२०
२२६
२२६–२३०
२२६
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