Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( ४० )
गाथा ४२
१७१-१७२ तीर्थकरनाम, आहारकद्विक की उत्कृष्ट स्थिति गाथा ४३
१७३-१७४ तीर्थकरनाम की उत्कृष्ट स्थिति सम्बन्धी प्रश्न
१७४ गाथा ४४
१७४–१७५ तीर्थकरनाम को उत्कृष्ट स्थिति सम्बन्धी प्रश्न का उत्तर
१७४ गाथा ४५
१७६-१७७ उत्तर प्रकृतियों की जघन्य स्थिति का नियम
१७६ गाथा ४६
१७७-१७८ देवायु, नरकायु की जघन्य स्थिति
१७७ गाथा ४७
१७८-१७६ पुरुषवेद, यशःकीति, उच्चगोत्र, सातावेदनीय आहारकद्विक, अंतरायपंचक, आवरणद्विक की जघन्य स्थिति
१७८ गाथा ४८
१८०-१८४ संज्वलन कषायचतुष्क की जघन्य स्थिति
१८० शेष प्रकृतियों की जघन्य स्थिति विषयक सूत्र
१८१ निद्रापंचक आदि पचासी प्रकृतियों की जघन्य स्थिति
सम्बन्धी कर्म प्रकृति का दृष्टिकोण गाथा ४६
१८५-१८७ वैक्रियषट्क की जघन्य स्थिति
. १८५ गाथा ५०
१८७-१६० अनन्तरोपनिधा से निषेक विचार
१८८ था ५१
१६०- १६३ आयु कर्म की प्रथम समय से निषेक रचना होने का । कारण
१८३
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