Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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( ३८ ) नामकर्म की उत्तर प्रकृतियों के सत्तास्थान व भूय
स्कार आदि निरूपण गाथा २१, २२
११८-१३० समस्त उत्तर प्रकृतियों के सत्तास्थान व उनके बनने में हेतु
उक्त सत्तास्थानों में भूयस्कार आदि निरूपण गाथा २३
१३०-१३२ सादि आदि बंध-प्रकारों का भावाभावत्व
१३० गाथा २४
१३२-१३४ अजघन्य और अनुत्कृष्ट में अन्तर अजघन्य और अनुत्कृष्ट में अन्तर बताने के लिए सादित्व विशेष ग्रहण करने में हेतु
१३४ गाथा २५
१३५---१३६ समान्य से सादित्व आदि का निर्देश
१३५ गाथा २६
१३७-१३६ प्रकृति बंधापेक्षा सामान्यतः मूल और उत्तर प्रकृतियों
में सम्भव जघन्यादि भंग गाथा २७
१३६-१४० प्रत्येक मूलकर्म की सादि आदि प्ररूपणा
१४० गाथा २८
१४१-१४३ उत्तर प्रकृतियों की साद्यादि बंध प्ररूपणा
१४१ स्वामित्व प्ररूपणा
१४३ गाथा २४
१४३-१४५ तिर्यंचगति की बंध-अयोग्य प्रकृतियां
१४४ गाथा ३०
१४५-१४७ देव और नारक के बंध-अयोग्य प्रकृतियां
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