Book Title: Panchsangraha Part 05
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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मूल प्रकृतियों के उदीरणास्थान मूल प्रकृतियों के उदीरणास्थानों में भूयस्कार आदि प्रकार मूल प्रकृतियों के सत्तास्थान,
मूल प्रकृतियों के सत्तास्थानों में भूयस्कार आदि प्रकार गाथा १५
४६-५४ दर्शनावरण कर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधस्थान मोहनीय कर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधस्थान
४८ नामकर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधस्थान ज्ञानावरण, अन्तराय, वेदनीय, आयु और गोत्र कर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधस्थान उक्त उत्तर प्रकृतियों के बंधस्थानों में अवस्थित बंध
प्रकार का निरूपण गाथा १६, १७
दर्शनावरण कर्म के बंधस्थानों में भूयस्कार आदि बंधप्रकार त्रय का निरूपण मोहनीय कर्म के बंधस्थानों में भूयस्कार आदि बंधप्रकार त्रय का निरूपण नामकर्म के बंधस्थानों में भूयस्कार आदि बंध-प्रकार त्रय का निरूपण नामकर्म के आठ बंधस्थानों में छह भूयस्कार बंध होने का कारण पूर्वोक्त के अतिरिक्त शेष ज्ञानावरण आदि पाँच कर्मों
के बंध स्थानों में भूयस्कार आदि बंध प्रकार गाथा १८
६५-६४ समस्त उत्तर प्रकृतियों के बंध स्थान
५४-६४.
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