Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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अप्रकाशित
१. काव्य - चन्द्रदूत (हिन्दी में दोहोंके रूपमें)
२. स्तवन - सहजानंद गुरुदेवाष्टक (संस्कृत में )
३. प्रशस्ति - नाहटा वंश प्रशस्ति (१०८ श्लोकों में संस्कृत काव्य )
४. अनुवाद - कीर्तिलता (अवधी से हिन्दी में अनुवाद)
५. अनुवाद - द्रव्य - परीक्षा (प्राकृत से हिन्दी में )
६. अनुवाद - नगरकोटप्रशस्ति (प्राकृत मिश्रित अपभ्रंशका संस्कृत छाया अनुवाद व हिन्दीकरण )
७. अनुवाद - अलंकार दप्पणम् (प्राकृतका संस्कृत छायानुवाद तथा हिन्दी व्याख्या) ८. सागर सेठ चौपई - जिसका अनुवाद, अंग्रेजी संस्कृत शब्दकोष संयुक्त संपादन ।
अतिरिक्त
शताधिक कहानियाँ, संस्मरण तथा फुटकर आलोचनात्मक लेख । प्रतिलिपियोंकी संख्या प्रायः सहस्राधिक है ।
उपर्युक्त ग्रन्थ आपके लिंग्विस्टिक एस्थेटिक सेन्सकी तीव्र अनुभूतिकी बाह्याभिव्यक्त कृतियाँ है । आपके अतीत रसकी प्रीतिके प्रमाण हैं तथा हैं आपके प्राचीन ग्रन्थोंके उद्धारकी साहसिक प्रक्रियायें, जो शोध व अन्वेषणकी प्रवृत्तिके परिचायक हैं । पितृव्य श्री अगरचन्दजीके साथ सम्पादित अमूल्य ग्रन्थोंकी तालिका आप दोनोंके प्रयासकी दिशाका स्पष्ट परिज्ञान देंगी ।
१. युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि (सं० १९९२)
इस ग्रंथका संस्कृत काव्यानुवाद कलकत्तासे एवं गुजराती अनुवाद भी बम्बईसे प्रकाशित है । २०२९ अभी-अभी तृतीय संस्करण प्रकाशित हुआ है ।
२. ऐतिहासिक जैन काव्य-संग्रह (सं० १९९४) डॉ० हीरालाल जैनकी भूमिकासे सम्बलित ।
३. दादा जिनकुशलसूरि (सं० १९९५) द्वितीयावृत्ति (सं० २०१९)
४. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि (सं० १९९७) द्वितीयावृत्ति (सं० २०२७) इस ग्रन्थका संस्कृत काव्यानुवाद भी सामने आया है ।
५. युगप्रवान जिनदत्तसूरि (सं० २००३ )
६. बीकानेर जैन लेखसंग्रह ( सं० २०१२ ) ७. समय सुन्दरकृति कुसुमांजलि (सं० २०१३) ८. बम्बई पार्श्वनाथस्तवन संग्रह (सं० २०१४ ) ९. ज्ञानसार-ग्रंथावली (सं० २०१५ )
१०. सीताराम चौपई (सं० २०१९)
११. रत्न - परीक्षादि (फेरु ग्रन्थावली ) (सं० २०१७ )
१२. रत्न- परीक्षा (सं० २०२० )
१३. क्यामखाँ रासो
१४. मणिधारी अष्टम शताब्दी स्मारक ग्रन्थ (सं० २०२७ )
युगल प्रयासकी महत्ता प्रायः विशिष्ट विद्वानों की प्रज्ञाचक्षुसे परीक्षित हैं । महापंडित राहुल सांकृत्यायन, डॉ० हीरालाल जैन, डॉ० गौरीशंकर ओझा, डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ० मोतीचंद, मुनि कान्तिसागर
जीवन परिचय : ९७
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