Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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I delighted to visit to Sri Nahata's collections of Paintings and Manuscripts. Really it is a collection of a devoted scholar
Daylal Bactt Briteri Buseum, London
12 Jan. 1955
श्रीयुत् नाहटाजीके इस अनुपम संग्रहालयमें आनेका सौभाग्य प्राप्तकर अपार हर्ष हुआ। यह संग्रहालय प्राचीन तथा आधुनिक अमुद्रित, मुद्रित एवं दुर्लभ ग्रन्थों का भण्डार है। उच्च शिक्षित एवं अनुसन्धित्सु वर्गके लिए यह अद्वितीय शोधस्थल है। साहित्यके विद्याथियोंके लिए यह पथ-प्रदर्शक है। यहाँपर एक क्षण व्यतीत करना अक्षय ज्ञान संचयन के समान है।
कपिलदेव तैलङ्क
तैलङ्क भवन टीकमगढ़ ( म०प्र०)
२३-६-५९
मैं लगभग एक सप्ताहसे नाहटाजीके पुस्तकालय, हस्तलिखित ग्रन्थ तथा कलात्मक संग्रहको देख रहा हैं। बड़े सौभाग्यका विषय है कि राजस्थानी साहित्य और कलाका अनूठा संग्रह, जिससे सैकड़ों शोधप्रेमियोंको लाभ पहुंच रहा है बीकानेरमें है। नाहटाजीका यह कर्म-योग सर्वथा स्तुत्य है। आपके अथक परिश्रमका फल आज हम अनेकों लेखों व पुस्तकोंमें पाते हैं और आपके जीवनसे प्रेरणा लेते हैं।
गोपीनाथ शर्मा अध्यक्ष-इतिहास विभाग म०भू० कॉलेज, उदयपुर
३-७-५९
श्री नाहटाजीका अभय जैन ग्रन्थालय व संग्रहालय देखा और मुग्ध हो गया। ऐसा लगा जैसे प्रथम बार किसी विद्या-व्यसनीके कक्षमें आया हूँ । पुस्तकोंका ऐसा सुव्यवस्थित संग्रह और अन्य कलाकृतियोंका संग्रह राजस्थानके लिए गर्वकी वस्तु है।
गणपतिचन्द भण्डारी
हिन्दी प्राध्यापक श्री महाराजकुमार कॉलेज, जोधपुर
११-१०-५९
श्रीमान् अगरचन्दजी नाहटाके अभय जैन ग्रन्थालय तथा कला-भवनके दर्शन किये। कई दिन तक संग्रहालयमें अनुसंधान विषयक कार्य किया। बीकानेरमें इतने बड़े ग्रन्थागारको देखकर महान हर्ष हुआ। श्री नाहटाजीकी सतत साधना एवं तपस्या साकार रूपमें नेत्रोंके सामने प्रस्तुत हो जाती हैं आपका विद्याव्यसन, अथक अध्यवसाय, तपस्या-भाव एवं कार्य-पटुता प्रत्येक विद्याप्रेमी और अनुसंधानकर्ताके लिए
आगन्तुक सम्मतियाँ : ३९७
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