Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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मुखड़ा-सूं बोल संभाळ अ जरणी माता ! नाग खाजो ल्होड़ा वीर-नै कळजुग जोर वरतायो ओ छोरी पेमल ! वीरें सूं वाल्हो परण्यो सायवो कद तैं लाड लडायो ओ छोरी पेमल ! कद साज्या पीवर-सासरा हथलेव-में लाड लडायो ओ जरणी माता ! चंवरी - में साज्या पीवर सासरा मड़ा में बस घड़ी परण्या सायब ! खरनाळ चालूं तो पीळो ओढ पौढण नै ठोड़ बतावो साळी म्हांरी डाबरिया नैणां में निंदरा घुळ रही साळी थारी नेग मांगै रे कंवर तेजाजी ! गोरी तो मांगे खांडियो खोपरो नागाणो सहर वसै अ साळी म्हारी ! बाळद भर लाऊं खारक - खोपरा वांटू लूंग-सुपारी साळी म्हारी ! गोरी-न देऊं खारक- खोपरा
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रेसम बेज वणो रे कंवर तेजाजी ! दावण तो धोळा पीळा पाट-री फूलां थांरैसेज बिछाऊं कंवर तेजाजी ! ओसीचो दे लै रे चुड़लाळी बांय-रो सूतां नीदं न आवे ओ पेमल गोरी ! गूजरी कुरळायी बळते काळजै
[५]
सूरो थारो नांव सुण्यो कंवर तेजाजी ! गायां तो घेरी मीणां चोरटां घर भोमी जी - जावो लाछां गूजरी ! भोम तो खाव सहर पनेर-री भोमियां वैर वसै कंवर तेजाजी ! भोमियां-रै भेदां गायां नीकली घर गांव-धणी-रै जावो ए लाछां गूजरी ! हासल तो खाव सहर पनेर-री घर गांव धणी - गयी ओ लाछां गुजरी
गांव-धणी नै जाय जुहारी लाछां गूजरी गायां तो घेरी मीणां चोरटां गांव-धणी घर नहीं लाछां गूजरी ! कंवर तो भोळा घोड़ा दूबळा
घर भांभी-रै जा ओ लाछां गूजरी ! हेलो तो पाड़े चढती वार- रो कूंडा म्हारे पाण ठरै लाछां गूजरी ! तुरियां पर चढिया तेजाजी - रा धोतिया नित-रा पाण ठारो रे बेटा भांभोरा ! नित- का रेजो तागा टूटता
घर ढोली- रै जा ओ लाछां गूजरी ! ढोल बजाव तिरवी (?) वार- रो ढोली जाय जुहारी लाछां गूजरी
ढोलां डोर नहीं ओ लाछां गुजरी ! डांको ले गया बाळक खेलता रेसम - डोर करो बेटा ढोली- का ! डांको करो बीजळसार-रो
सूरो थारो नांव सुण्यो कंवर तेजाजी ! गोरां में रांभ बाळक - वाछड़ा घोड़ा पर जीण मांडो छोरा चाकर-का !
कठै पड़यो पिलाण कंवर तेजाजी ! कठै तो पड़यो लीला-रो ताजणो पड़ पड़यो पिलाण छोरा चाकर का ! खूंटै तो पड़यो लीला-रो ताजणो
३२४ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ
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