Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti

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Page 832
________________ हास्यकवि श्री हजारीलाल जैन सकरार जिनका सत् साहित्य कराता मोक्ष मार्ग दर्शन है, जिनकी कलम कराती रहती सदा ज्ञान वर्धन है, शोध मनीषी विद्यावारिधि उन्हीं नाहटा जी का इस पुनीत बेला पर 'काका' शत-शत अभिनन्दन है | प्रो० श्रीचंदजी जैन, उज्जैन व्यक्ति विशेष का अभिनन्दन न होकर मैं इसे धर्म का साहित्य का, संस्कृति का एवं कला का पुनीत सत्कार मान रहा हूँ । श्री पन्नालालजी, साहित्याचार्य, मंत्री, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद, सागर श्री नाहटा जी की साहित्य सेवा जैन समाज के गौरव को बढ़ाने वाली है । श्री आनन्दराज सुराना, स्थानकवासी जैन क्रान्फ्रेन्स, दिल्ली श्री नाहटा जी एक विद्वान् समाज सेवी, कर्मठ कार्यकर्ता एवं लेखक आदि सभी से सम्पन्न व्यक्तित्व वाले हैं । श्री भंवरलाल सिंघी, अध्यक्ष अखिल भारतीय मारवाडी सम्मेलन, कलकत्ता श्री अगरचन्दजी नाहटा जी ने जीवन भर जो विद्या साधना की है और समाज एवं साहित्य को जो अवदान किया है वह सदा अभिनन्दनीय रहा है व रहेगा । उनको जैसी साधना बहुत कम लोगों में मिलती है। श्री दौलतसिंहजी जैन, मन्त्री, अखिल भारतीय खरतरगच्छ, दिल्ली श्री नाहटा जी राष्ट्र के लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान् हैं । सहस्रों अमूल्य ग्रन्थों का संग्रह एवं अवलोकन कर इतिहास एवं साहित्य की महान् सेवा की है । उन्होंने इस गच्छ का नाम रोशन किया है । श्री केसरमलजी सुराना, मन्त्री, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, रानावास श्री अगरचन्द जी नाहटा हमारे समाज के अग्रणीय नेता हैं । उन्होंने जो हमारे समाज की सेवा को है वह जैन इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखी जायेगी । श्री सेठ भागचन्दजी सोनी, अध्यक्ष, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा, अजमेर वे जैन पुरातत्त्व के गतिशील अध्येता तथा अनुसंधित्सुओं के प्रेरणास्रोत हैं । लक्ष्मी और सरस्वती की उन पर समान रूप से कृपा है । श्री विजयसिंहजी नाहर, भूतपूर्व उपमुख्य मन्त्री, पश्चिमी बंगाल, कलकत्ता उनका साहित्य, उनका विभिन्न विषयों पर पांडित्यपूर्ण लेख उनकी विद्वत्ता का परिचायक हैं । उनका साहित्य एवं पुरातत्व विषयक संग्रह अपूर्व है । श्री के० एल० बोरदिया उदयपुर नाहटा जी की इतिहास तथा धार्मिक ग्रन्थों के संबंध में शोध अत्यन्त सराहनीय रही है उन्होंने कठिन परिश्रम तथा सत्य की खोज का एक आदर्श प्रस्तुत किया है । श्री वृन्दावनदास, मथुरा नाहटा का अभिनन्दन वास्तव में हिन्दी शोध का अभिनन्दन है । हिन्दी के साहित्य क्षेत्र में उनका व्यक्तित्व वन्दनीय है । Jain Education International अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ : ३३९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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