Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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शिक्षाआयुक्त श्री जगन्नाथसिंहजी मेहता, जयपुर
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राजस्थान के निवासियों की ओर से सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री अगरचन्द नाहटा का गुणप्रेरक अभिनन्दन किया जा रहा है। श्रीयुत् रतनचन्दजी अग्रवाल, पुरातत्त्व संग्रहालय विभाग, जयपुर
प्रभु से करबद्ध प्रार्थना है कि राजस्थान के मूर्धन्य विद्वान् श्री अगरचन्द जी नाहटा चिरायु हों ताकि वे राजस्थान एवं भारत के साहित्य में उत्तरोत्तर वृद्धि कर सकें। सेठ श्रीयुत् अचलसिंहजी, संसद सदस्य, दिल्ली
श्री नाहटा को इस देश, समाज व साहित्य के प्रति अनेक सेवाएँ है, यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था फिर भी आपके प्रयास एवं आयोजन के लिए मेरी शुभ कामनाएँ हैं । लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत, संसद सदस्य, दिल्ली
श्री नाहटा जी का अभिनन्दन समारोह को जानकर प्रसन्नता हुई, हम सभी का कर्तव्य है कि इसे सफल बनाने का प्रयत्न करें। श्रीमती कान्ता खतूरिया, सदस्या राजस्थान विधान सभा
इस शुभ कार्य के लिए मेरा सक्रिय सहयोग आपके साथ है । मूर्धन्य साहित्यकार बनारसीदास चतुर्वेदी, फिरोजाबाद
श्रद्धय अगरचन्दजी नाहटा ने हिन्दी साहित्य की जो अद्भुत सेवा की है, उससे उनका अभिनन्दन होना ही चाहिए था। इस सुअवसर पर मैं अपनी हार्दिक बधाई देता है। श्रीयुत अक्षयकुमार जो जैन, संपादक, नवभारत टाइम्स, दिल्ली
___ समारोह की सफलता की शुभकामना । श्री परमेष्ठी दास जी जैन, संपादक, वीर
मैं विद्यापति श्री अगरचन्दजी नाहटा की साहित्य सेवाओं पर मुग्ध हूँ, उनका अति प्रशंसक हूँ। समारोह के समय मेरी ओर से भी हार्दिक अभिनन्दन दीजिए। नाहटा जी के शतायु होने की कामना करता हुआ, और भावना भाता हूँ कि वे सौ वर्ष तक सतत साहित्य सेवा में लगे रहें। श्री जमनालालजी जैन, सह संपादक, श्रमण, वाराणसी
नाहटा जी ने अपने जीवन में जितना कार्य मां भारती के लिए किया वैसा और उतना कार्य अगर मैं अतिशयोक्ति नहीं करता तो कहना चाहता हूँ कि एक सर्वसाधन सम्पन्न विश्व विद्यालय भी करने में असमर्थ है । वे हम सबको सेवा एवं कर्मठता का मंगल आशीष निरन्तर देते रहें, यही प्रभु से प्रार्थना है। श्री राजनाथजी, संपादक सुधाबिन्दु, अहमदाबाद
आपकी बहमुखी सेवाएँ साहित्य समाज की मूल्यवान निधि है। प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि नाहटा जी शतजीवी बन कर मां भारती के चरणों में अन्य कई ग्रन्थ पुष्प रखने के लिए सक्षम बनें । श्री चन्दनमलजी चांद, प्रबन्ध संपादक, जैन जगत
श्री नाहटा जी का मण्डल, जैन जगत एवं मेरे से अत्यन्त घनिष्ठ सम्पर्क है और उनकी विद्वत्ता विनम्रता आदि भावों से जन-जन परिचित है।
अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ : ३३७
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