Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti

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Page 738
________________ लौट जाता है। इस प्रकार ऊदाकी माता एक अनुपम आदर्श उपस्थित करती है। वह शरणागतकी रक्षाको अपना धर्म समझने वाली वीर माता है।' (३) कुंगरे कोचकी बातमें महाबली कुंगरेकी बेटी हांसू अपने मत पिताकी इच्छापतिके लिए पुरुषवेषमें जैसलमेरके घोड़े लूटनेके लिए चल पड़ती है। मार्गमें उसकी ओढे सरदारसे भेंट होती है और वे साझेमें 'धाड़ा' (डाका) करने के लिए आगे बढ़ते हैं। वे जैसलमेरके घोड़े घेरकर ले आते हैं। पीछेसे सेना आती है । ओढा घोड़े लेकर आगे बढ़ता है और हांसू अकेली सारी सेनाको रोककर छका देती है। सेना हार कर लौट जाती है। आगे आनेपर लूटमें प्राप्त घोड़ोंका हिस्सा होता है और ओढा हांसूको पहचान लेता है कि वह लड़की है। फिर उनका आपसमें विवाह होता है और हांसूके गर्भसे वीर जखड़ा जन्म लेता है। इस प्रकार हांसू एक वीर पुत्रीका आदर्श उपस्थित करती है। (४) महींद्रो सोढो सम्बंधी बातमें मोमलका प्रेमी महेन्दरा सोढा उसके पास प्रति रात्रि बड़ी दूरसे चलकर पहुँचता है एक रात उसके बड़ी देरसे आनेके कारण सब सो जाते हैं और दरवाजा नहीं खुल पाता। इससे वह नाराज हो जाता है। प्रेमीकी नाराजीका पता लगाने के लिए मोमल स्वयं उसके यहाँ पहुँचती है । महेन्दरा बागमें जाकर बैठ जाता है। और मोमलको झूठा संदेश भिजवा देता है कि सांप द्वारा काटे जानेके कारण उसकी मृत्यु हो चुकी है। इस समाचारको सुनते ही मोमल अपना शरीर छोड़ देती है । इस प्रकार वह एक आदर्श प्रेमिकाके रूपमें प्रकट होती है इस बातका रूपान्तर भी मिलता है, जिसमें महेन्दराकी नाराजीका कारण दूसरा ही दिखलाया गया है। (५) राजा नरसिंघकी बातमें अजमेरके राजा वैरसी गौड़के मरनेपर उसका पुत्र नरसिंघ बालक अवस्थामें होता है और रानी देहड़ (दहीया वंशकी पुत्री)के ऊपर सारा भार आ पड़ता है। इसी समय अजमेर पर पठानोंका हमला होता है। रानी स्वयं वीरता पूर्वक युद्ध करती है परन्तु कोटकी रक्षा होना कठिन प्रतीत होता है, अतः अपने लोगोंको साथ लेकर वह दूर चली जाती है। आगे नरसिंघका बचपनमें ही विवाह करके उसे अपनी ससुरालमें छोड़ दिया जाता है । फिर रानी दैहड़ हाड़ोंकी धरतीमें जाकर शक्ति-संग्रह करती है। नरसिंघ सयाना हो जाता है तो उसका एक विवाह और कर लिया जाता है। फिर अवसर देखकर रानी अजमेरपर आक्रमण करती है और विजयके बाद नरसिंघ राजा बनता है । इसके बाद रानी दैहड़ सती हो जाती है। इस प्रकार रानी एक साथ ही शौर्य, सहनशीलता, बुद्धिमत्ता एवं पतिभक्तिका आदर्श उपस्थित करती है। यहाँ राजस्थानी बातोंके कुछ चुने हुए आदर्श पात्रोंकी साधारण चर्चा मात्र की गई है, वैसे बातोंमें आदर्श पात्रोंकी संख्या बहुत बड़ी है और वे अनेक प्रकारके आदर्श उपस्थित करते हैं। इसी प्रसंगमें पात्रोंकी शारीरिक शक्तिका नमूना भी देखने योग्य है (१) कूगरो बलोच अरोड़ सखर रहै तिलोकसीह जसहड़ौत जैसलमेर राज करें। कूगरौ छ ताकड़ी रौ अहार करें। एक बैर (पत्नी) गर । रीहाडी परबत छ, ओथ रहै । मा सू अरोड़ रहै । सू पहाड़ इसड़ी १. वीरवांण, परिशिष्ट भाग (रानी लक्ष्मीकुमारी चुंडावत)। २. राजस्थानी वातां, भाग, १ (श्री नरोत्तमदास स्वामी)। ३. राजस्थानी प्रेमकथाएं (श्री मोहनलाल पुरोहित)। ४. वातां रो झूमखो, दूजो। भाषा और साहित्य : २४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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