Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti

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Page 807
________________ प्रख्यात हुई है । महाभारत में शान्तनु और गंगाकी पुराण कथा भी इसी आधारबीजकी कथा है । राजस्थान में की धांधलकी कथा भी इसीका परिवर्तित रूप प्रतीत होता है । इस प्रकार से यह पुराण कथा अत्यन्त ही व्यापक Universal है' क्योंकि, उसका कथावस्तुतत्त्व अति मोहक है। संसारके वार्ता साहित्यमें इस प्रकारका अद्वितीय अन्य कथावस्तुतत्व कदाचित् ही दृष्टिगत होता है । इस कथाका कथावस्तुतत्त्व है, दिव्य प्रेम । डा० स्टिथ थोम्सनने अपने ग्रन्थ "दी फाक्टेल" मे ऐसी कथाओंके लक्षण एवं आधारबीजकी चर्चा विस्तारपूर्वक की है और सारांशके रूपमें बताया है कि देवांगनाके साथ पुरुष शर्तोंका स्वीकार कर विवाह करता है तथा शर्तभंग होते ही स्त्री, पुरुषको छोड़कर चली जाती है। संक्षेपमें कहा जाय तो दो प्रेमी परस्पर लग्न-ग्रन्थि द्वारा जुड़ते हैं किन्तु उनके मध्य शर्ते निश्चित होती हैं और शर्त भंग होते ही देवांगना चली जाती है । ऐसा प्रतीत होता है कि डा० स्टिथ थोम्पसनने अपने "दी फाक्टेल" में मानों होथल और ओढाकी बात उन्हें ज्ञात ही हो और वे उसी पर ही लिख रहे हों, ऐसी अदासे लिखा है। आपने उसमें बताया है कि नायक, देवांगनाके साथ विवाह करता है और अपने दिन सुखपूर्वक व्यतीत करता है | किसी एक प्रसंगपर नायकको अपने देश (वतन) को जाना याद आता है और पत्नी भी इसके लिये सहमत हो जाती है और स्त्री, नायकको स्पष्ट शब्दों में कहती है कि देखना शर्त भंग न हो, इसका भली प्रकार से ध्यान रखना। वह भी कह देती है कि अपने मुखसे उसका नाम तक उच्चारित न हो जाय या उसकी जिह्वा से उसके नामसे आवाज तक न दे । ४ नायक स्वदेश जाता है और अपनी पत्नी के सम्बन्ध में जब बढ़ा-चढ़ाकर बातें अपनी पत्नीको खो बैठता है। पति अपनी पत्नीको खोजने निकलता है और वह अनेक पड़ता है। उन्हें पार कर लेनेपर अन्तमें दोनोंका पुनर्मिलन होता है । होथल और ओढा जामकी यही लोक-कथा है जिसका आधारबीज भी प्रेमीकी ओरसे "शर्त-भंग और त्याग" का है। अतः डा० स्टिय योम्पसन अपनी ओरसे इसके मानक एवं आधारबीजका क्रमांक लिखते हुए कहते है This Series of notifes is frequently found in Type 400" इस प्रकार होयल और ओढा जानकी स्थानीय दन्त कथाका महत्व संसारकी अनेक लोक कथाओंके साथ जोड़ा जा सकता है और संसार भरकी लोक कथाओंके क्षेत्र में उसको भी सम्मानपूर्ण स्थान अवश्य प्राप्त हो । १. The Occen of Story, vol. VIII, p. 234, २. 233. ४. ५. The Folk-Tale, pp. 87-93. 91. 88. "" Jain Education International 17 ३१८ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ For Private & Personal Use Only करता है तब वह कठिनाइयोंमें जा www.jainelibrary.org

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