Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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नाहटाजीकी धर्ममें गहरी श्रद्धा है । आध्यात्म और दर्शन आपका सदासे प्रिय विषय रहा है। निष्काम कर्ममें आपकी गहरी निष्ठा है । स्वाध्याय और साहित्य-साधनामें लीन रहते हैं। आपका जीवन अप्रमादी और कर्मठ रहा है।
नाहटाजी राजस्थानी भाषाके प्रबल समर्थक और मर्मज्ञ विद्वान हैं। साहित्य अकादमी दिल्लीने राजस्थानी भाषाकी मान्यताके लिए जो समिति बुलायी थी उसमें राजस्थानी भाषाका पक्ष समर्थनके लिए आपको ही निमन्त्रित किया गया था। आपके विशिष्ट व्यक्तित्व और तर्कसंगत उद्धरणोंसे प्रभावित हो समितिने सर्वसम्मतिसे राजस्थानी भाषाको साहित्यिक मान्यता देना स्वीकार कर लिया।
आबूको गुजरात प्रदेशसे पुनः राजस्थानमें लानेका बहुत बड़ा श्रेय नाहटाजीको है। इसके समर्थनमें आपने बहुत महत्त्वपूर्ण लेख लोकवाणी आदिमें प्रकाशित कराये । गुजरातके समर्थक श्री अमृत पाण्याके एकएक तर्कका जवाब बड़ी सूझ-बूझ व विद्वत्तापूर्वक दिया ।
राजस्थानकी साहित्य एवं कला समृद्धिको प्रकाशमें लानेका जो आपने भागीरथ प्रयत्न किया है वह विरल एवं अन्यतम है। राजस्थानी साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़ियाने अपने करकमलोंसे राजस्थानके उच्चतम विद्वानके रूपमें आपका स्वागत कर एक अभिनन्दनप्रशस्ति प्रमाण-पत्र भेंट किया। बीकानेर महाराज डॉ० कर्णीसिंहजीने सार्वजनिक कल्याणके लिए अपने प्रिवीपर्सके पाँच लाख रुपयोंका जो ट्रस्ट बनाया है उसमें आपको भी एक ट्रस्टी नियुक्त किया है । यह आपकी अपार विद्वत्ता और लोकप्रियताका परिचायक है।
श्रीअगरचन्दजी नाहटाकी षष्टि पूत्तिके शुभ अवसरपर बीकानेरके नागरिकों और साहित्यिक संस्थाओंकी तरफसे ता० १४-३-७१को, प्रो० स्वामी नरोत्तमदासजीकी अध्यक्षतामें बीकानेरके महाराज कुमार श्री नरेन्द्रसिंहजीके करकमलों द्वारा नागरिक अभिनन्दन किया गया।
नाहटाजीकी साहित्यिक और धार्मिक सेवाओंके लिए १० अप्रैल १९७६को बीकानेरमें अभिनन्दन किया जा रहा है। इसके लिए एक समिति बनायी गयी है। एक वृहद् अभिनन्दन ग्रन्थ जो जैन साहित्य, राजस्थानी भाषा साहित्य और पुरातन सम्बन्धी लेखोंका वृहद् कोष है, आगामी १०-१२ अप्रैलको प्रकाशित हो रहा है। इस ग्रन्थका सम्पादन देशके विख्यात विद्वानों-डॉ० दशरथ शर्मा, डॉ० एन. एन. उपाध्ये, डॉ० भोगीलाल सोंडेसरा, प्रो० नरोत्तमदास, श्री रतनचन्द्र अग्रवाल, डॉ. बी. एन. शर्मा एवं प्रबन्ध सम्पादक श्री रामवल्लभ सोमाणी जयपुर हैं। नाहटाजीके साथ-साथ उनके भ्रातज श्री भंवरलालजी नाहटाका भी राजस्थानी साहित्यको बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। दोनों चाचा-भतीजोंका सम्मान अभिनन्दन-ग्रन्थ द्वारा किया जा रहा है।
ऐसे सरस्वती-पुत्र और राजस्थानके अनमोल रत्न श्री नाहटाजीका उनके ६५ वर्षकी पूर्तिपर हार्दिक अभिनन्दन करते हैं और प्रभुसे प्रार्थना करते हैं कि वे चिरायु होकर माँ भारती और देशकी निरन्तर सेवा करते रहें।
श्रीअगरचन्द नाहटा : ४०५
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