Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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नाहटाजी ही हा, जि का कमर थेपेडी-अर आगे बढ़ण री राय दी। औं तरै सैं नाहटाजी अटूट प्रेरणा रा स्रोत नजर आवै ।
नाहटाजी अर सेठ गोविन्ददास-कलकत्तैमें आयोजित अंक समारोहमें सेठजी अर नाहटाजी दोन आमन्त्रित हा । सेठजी हिन्दी री तारीफमें बोलता बोलता राजस्थानी रे बारे में कुछ भी तरै की बात कैयी जी मैं रौ अरथ हो के राजस्थानी रो अलग अस्तित्व नई है, क्यूंके इण रो कोई व्याकरण, सबस कोस नई है। नाहटाजी मेंच पर ही भी बात रो विरोध करण री कैई, जणां सेठजी आपरी गलती मानी अर केयी के म्हारो मतलब अरे नई हो । नाहटाजी री तरैरी दबंगता कई जवां देखणेमें आई है। ( घटना री टेम मैं खुद उपस्थित नई हो-सुण्योड़ी बात लिखी है)।
नाहटाजी अर डा० सुनीति कुमार चटर्जी–केन्द्रीय साहित्य अकादमी री विसेसग्य समिति री ओर सू राजस्थानी भासा नै साहित्यिक-मानता दिये जाणै री सिफारिस कर दी गई है-ीं बात री सूचना राजस्थान सरकार अर राजस्थानी साहित्य अकादमी कोई न भी नई वी। श्री नाहटाजी जघां जघां पोस्टकार्ड गेर'र सूचना दी। कार्यकर्तावां रा सुपना साचा हुया-6 मोटी जीत पर घणौ हरख होयो। म्हैं कलकत्तैमें भी वेला एक महत्त्वपूर्ण गोष्ठि करण री सोची। कुछोक दिनां बाद श्री नाहटाजी रो भी कलकत्तै आणो यो। सभा रो आयोजन कर्यो गयो। मैं चावे हो के डा० सुनीतिकुमार चटर्जी औं सभा री अध्यक्षता करै । उणसै मिलणै गयो । बै कुछ टेकनीकल दिक्कतां प्रकट करता हुयां कैयो के मैं अध्यक्षता तो नई करतो पण श्री नाहटाजी भी आयोड़ा है तो उणरी बात सुणनेरी इच्छा जरूर ही-लेकिन बी टेम भी
टिक सोसाइटी री कोई सभा ही. सो वै बोल्या के मैं आ नी पाऊंगा। डा० चटर्जी कैयो के राजस्थानी रै अलावा अक दो अन्य भासावाँ नै भी साहित्यिक-मानता दे णै खातिर विचार-विमर्श हो पण उणरा विद्वान् दिल्ली आण में डऱ्या । आपरा नाहटाजी दबंगता सैं अकादमीमें, आया, अर उणरी भेस-भूसा, बात रै ढंग नै देख'र भी लोगों ने विस्वास हो गयो के राजस्थानी सुतंत्र भासा है। राजस्थानी री सुतंत्रता रै बाबत कोई न भी सन्देह होणे री चीज ही नई ही-सो यिसेसग्व समिति आपरी सिफारिस भेज दी है । मैं नाहटाजी मैं भोत प्रभावित होयो हूँ। दूसरे दिन मैं नाहटाजी नै डा० सा'ब रै घरां ले गयो। दोनू व्यक्तियों री मुलाकातमें मनै भी सामिल होणे रो सोभाग्य मिल्यो अर मनें लिखतां खुसी है के नाराजी बी पूरी मुलाकातमें मायड़ भासा री उन्नति खातिर भविस्यमें के कदम उठाणा चाय, भी बात पर ही चरचा करता रेया।
राजस्थानी ने प्रान्तीय भासा रो हक दियावो-अब अन्तमें बी सभा री ओक घटना ओर याद आवै, जिकी के मानता रै उपलक्षमें राजस्थानी प्रचारिणी सभा करी ही। सभा भांप श्री लोढाजी रे प्रस्ताव नै के राजस्थानी नै प्रान्तीय भासा रो दरजो देवणो चाय-परो समर्थन मिल्यो। अीं सभामें भी, श्री भंवरमलजी सिंघी भी उपस्थित हा। अर बै ओ सन्देह प्रकट कर्यो के राजस्थानी शिक्षा रो माध्यम नई रेयी है—अर अब तर री भांग सैं सायद कुछ दिक्कतां खड़ी हो ज्यावै । श्री नाहटाजी आपर भासण मांय सिंधीजी रे भी संदेह नै आधारहीन बतायो अरै कयो के राजस्थानी भोत दिनां तक राजस्थान में प्राथमिक शिक्षा री माध्यम रैयी है अर ओं नै शिक्षा रो माध्यम बणायां ई प्रांत री चूतरफा प्रगति हो सकेगी।
किरणी ही घटनावां है, जिकी श्री नाहटाजी रे बारे में लिखी जा सके है। मैं राजस्थानी प्रणारिणी
व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : २६७
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