Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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श्री नाहटाजीसे मेरा सम्पर्क काफी समयसे है । यों मिलनेका अवसर बहुत कम प्राप्त हुआ किन्तु पत्र व्यवहार कई वर्षों से चलता है । इनको लिखो हुई पुस्तकें व लेख मैं रुचिपूर्वक पढ़ता हूँ और उनके प्रति मेरी सद्भावना एवं श्रद्धा अटूट है ।
श्री नाहटाके दिल में जैनधर्मके प्रचार व प्रसारका जोश है । इसी कारण वे समय-समय पर विद्वत्तापूर्ण लेख लिखते रहते हैं। जिनके पढ़नेसे जैनधर्मके प्रति श्रद्धा उत्पन्न होना स्वाभाविक है । यही नहीं, ऐतिहासिक जानकारी भी प्राप्त होती है।
सबसे बड़ी खुबी उनमें यह है कि वे सरल एवं निरभिमानी हैं। वे हर एक व्यक्तिके कथनोंका उत्तर संतोषजनक देते हैं। साथ ही नेक सलाह देने में भी संकोच नहीं करते।
२ वर्ष पूर्व जब श्री कापरदाजी तीर्थ स्वर्णजयन्ती महोत्सव ग्रंथके प्रबंधक था मैंने आपसे पत्र पवहार द्वारा काफी जानकारी प्राप्त की। मेरे अनुरोध पर आपने श्री नाकोडाजी व सांचोर तीर्थके लिए लेख लिखकर भेजे। साथ ही श्री नाकोडाजी तीर्थके शिलालेखोंकी नकलें व श्री कापरदा तीर्थके सम्बंध में रचे पुराने रासा वि० सं० १६७३-८३ व ९५ को प्रतिलिपियाँ भी भेजीं जिससे मझे काफी सहायता मिली।
श्री नाहटाजी किसीके पत्रका उत्तर देने में विलम्ब नहीं करते। उनका ऐसा नियम है कि आज पत्र प्राप्त हुआ उसका उतर एक या दो दिन में दे ही देते। उनके पास काफी कार्य रहते हुए भी वे किसीकी प्रार्थनाको नहीं ठुकराते, यथायोग्य सहयोग देकर उन्हें सन्तुष्ट करनेको भावना रखते हैं।
उनको जैनधर्मके प्रत्येक गच्छ के सम्बन्धमें काफी जानकारी है। विशेषकर खरतरगच्छके सम्बन्धमें जितनी जानकारी उनको है, शायद ही किसी और को हो, ऐसा मेरा अनुभव है। उन्होंने इस गच्छकी जो सेवा की है चिरस्मरणीय रहेगी।
श्री नाहटाजी समय समय पर सभाओंमें भी अपने विचार व्यक्त करते हैं । उनके वक्तव्यसे सभाजन इसलिए अधिक प्रभावित होते हैं कि वे सच्ची व ऐतिहासिक बातोंपर ही विशेष प्रकाश डालते हैं।
हाल ही में दिगम्बरदास जैनका एक लेख छपा है उसमें "भगवान महावीरको चोइसवाँ तीर्थंकर सिद्ध करना" इसके लिए ११ सदस्यके नाम है जिसमें श्रीनाहटाजीका नाम भी आपको "सिद्धान्त चक्रवर्ती" के नामसे सम्बोधित कर "यथानाम तथा गुण'' की कहावतको चरितार्थ किया है। वास्तवमें नाहटाजी जैसे विद्वान् लेखक श्वे. जैनमें कम हैं। जैन धर्मालविम्बयोंको गर्व है कि इस संघमें आप जैसे इतिहासप्रेमी सज्जन विद्यमान हैं। अन्य धर्मावलम्बियोंसे आपका काफी सम्पर्क हैं और आपकी पुस्तक व लेख पढ़कर संतोष व्यक्त करते हैं।
मैं उनकी दीर्घायु व स्वास्थ्य ठीक बना रहे, इसकी शुभ कामना करता हूँ।
साहित्यके सितारे व शोध-निर्देशक श्री अगरचन्दजी नाहटा
श्री प्रकाशचन्द सेठिया शान्त स्वभावी, मृदुभाषी, अहं एवं क्रोधादिसे कोसों दूर परम सन्तोषी श्रीनाहटाजीका व्यक्तित्व प्रभावशाली एवं अत्यन्त ही सरल है । आर्थिक सम्पन्नता होते हुए भी आप मात्र धोती, कुर्ता, दुपट्टा व पगड़ी ४७
व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : ३६९
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