Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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उस समय अपनी डायरीमें सामयिक विचार भी लिखा करते थे।
अब तो प्रायः प्रतिदिन ७-८ सामायिक हो जाती हैं जिसमें अध्ययनका काम चालू रहता है। आपकी स्मरणशक्ति इतनी तेज है कि इतनी बड़ी लाइब्रेरीकी पुस्तकें बिना सूची देखे तुरंत निकाल देते है। किसी विषयपर शोध करनेवाले व्यक्तिके समक्ष तुरंत पुस्तकों व सामग्रीके ढेर कर देते हैं जिससे उसके कार्य में किसी प्रकारका विलम्ब न हो।
बचपन में आपके अक्षर बहुत सुन्दर थे पर अधिक लिखने व अक्षरों पर ध्यान न रखनेसे वे दुरूह और अवाच्य हो गये पर बोलकर लिखानेका अभ्यास इतना अधिक हो गया कि चाहिए कोई लिखनेवाला । आप अपने विशाल अध्ययनके बलपर लेख-सिद्ध हो गये और दिनमें यदि लिखनेवाला हो तो पचासों पेज आसानीसे लिखा सकते हैं। अनेक बार ऐसे प्रसंग आए जिसमें किसी भाषण, लेख, ग्रन्थको अविलम्ब तैयार करना था तो आप बैठ गये और समयसे पूर्व काम पूर्ण करके ही उठे।
आपमें आलस्यका तो लेशमात्र भी अंश नहीं है। प्रतिदिन सामायिक, पूजन, व्याख्यान आदि सारे कार्य सम्पन्न करते हुए भी मीटिंगोंमें जाना, लाइब्रेरियों-ज्ञानभंडारोंसे ग्रंथादि लाना प्रत्येक कार्य आश्चर्यजनक गतिसे कर डालते हैं। जो कार्य हमारे आलस्य-उपेक्षासे महीनों संपन्न नहीं होते वे कार्य तुरन्त करनेके लिए सामग्री प्रस्तुत कर देते हैं।
स्मरण-शक्तिका यह एक चमत्कार ही कहा जा सकता है कि जैन-साहित्यके हजारों कवियोंकी छोटीमोटी हरेक कृतियाँ और उनमें उपलब्ध-अनपलब्ध पळनेपर तरन्त बता देते हैं कि यह कति भंडारमें है।
स्वयं इतना अधिक कार्यरत रहते हैं कि समय थोड़ा और काम बेशी । यही कारण है आप प्रायः हरेक काममें ठीक समयपर ही पहुँच पाते हैं। रेल मुसाफिरीमें भी आप प्रायः गाड़ीके छूटने के समय ही मुश्किलसे पहुँच पाते हैं और भीड़-भड़क्केमें आरामका ख्याल किये बिना ही अपनी यात्रा सम्पन्न कर लेते हैं।
आप दूसरोंको कार्य करने में प्रेरित करते रहते हैं। लोगोंको लिखनेके लिए विषय नहीं मिलता, सामग्री नहीं मिलती और आप तो इसके लिए समुद्र हैं। कोई काम करनेवाला चाहिए चौबीसों घंटे काम करे तो भी सामग्रीका अभाव नहीं। आपको तो अथक परिश्रम करनेवाला लगनशील व्यक्ति चाहिये । केवल बातें बनानेवाले और कामको जरा भी न करनेवाले व्यक्तिके साथ आप अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते । ज्यादा बातें बनाना आपको कतई पसन्द नहीं, आप कामसे काम रखते हैं।
आपकी जिनप्रतिमा और जैन-सिद्धान्तोंपर अटूट श्रद्धा हैं। अपनी मान्यतामें निश्चल होते हुए भी भिन्न मान्यतावाले व्यक्तियों-धर्माचार्यों और कार्यकर्ताओंके प्रति उतने ही उदार और सहृदय है कि प्रत्येक व्यक्ति आपके व्यक्तित्व और स्वस्थ निष्पक्ष आलोचना और अनुभव प्रधान निर्णयपर आकृष्ट हो जाता है।
आपकी मित्रमण्डली बड़ी व्यापक है, कार्यक्षेत्र विशाल है। कोई भी विषय किसी भी धर्म संप्रदाय या जातिका हो निष्पक्ष शोध, प्रबुद्ध लेखन और निर्देशन द्वारा अधिकारपूर्वक नेतृत्व करनेके कारण किससे क्या काम लेना, यह कार्य आसानीसे संपन्न कर लेते हैं । आपका पत्रव्यवहार बहुत विशाल होना स्वाभाविक है। आपका द्वार उनके लिए हर समय खुला है जो आपसे किसी भी विषयमें निर्देश, सम्मति या सामग्री प्राप्त करना चाहता हो। आपके पास जो सामग्री है उसे देना तो सहज औदार्य है पर अन्यत्र स्थानोंसे कष्टपूर्वक जुटाकर प्रस्तुत कर देना और शोधक व अभ्यासियोंके लिए सुलभ कर देना यह आपका विलक्षण गुण है । प्रतिदिन आये हए पत्रोंका उत्तर देनेरूप कार्य निष्पन्न करने में भी आपका बहुत सा समय लग जाता है पर
व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण : ३८१
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