Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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श्रद्धा-के-ये प्रसून
उपाध्याय प्रकाशविजय मां सरस्वती के अथक पुजारी
अवरुद्ध न हो पाई तेरी , अहर्निश लेखनी के उपासक
वह अथक आराधना कर्तव्य निष्ठ
ये शुभ्र पत्र कागज के पृष्ठ धर्मोद्धारक
किंचित् किंचित् शब्दों के गोरखधंधों से लाख लाख वन्दन तुझको
लीपित हो लक्षित हो जो दीप ज्योति जागृत तुमसे !
गुंफित हो दीप से जलें सहस्र दीप
वन गए प्रकाशमान हो विश्व आंगन
चित्रित हो मुखरित हो नन्दन वन, कानन,
इन्द्र धनुष के सप्तरंगों से रंजित,
महाग्रन्थ ! प्रज्वलित प्रकाश में
महाप्राण ! तिमिर भागे
काव्य-शोधित-चित्र मानव जागे
साहित्य आभारी है उज्ज्वल हो वसुधा का मस्तक
समाज आभारी है मां सरस्वती के अथक पुजारी। धन्य धन्य यह महाप्रयास-तेरा
ए-सरस्वती के अथक उपासक !
घणमोला श्री नाहटाजी नै घणैमान
कन्हैयालाल सेठिया कलम री नोक सूउठा र
पण थे तो थांरी जीवण रीकळा सूं वगत रो पड़दो
इं कैवत ने कर दीन्ही साव ही झूठी, प्रगटायो ग्यान-दिवलां री रतन-जोत
कणाँ ढलै रात कणां ऊगै दिन भूल्योड़ी वाता'र ख्यातां नै
थां रो तो पळ-छिण सरम रो संजीवण दे'र करी
वीतै है साधना में पाछी हरी
सबद री आराधना में जक्याँ नै निगळ लीन्ही ही
भेजू हूँ मैं म्हारै हिरदै री सरधा सरब-भक्षी मौत,
चढाऊं हूँ चरणां में भावां रा फूल इसी सुण्योड़ी है'क लिछमी'र सुरसती
थाँ नै जळम दे'र धिन हुई रया करै है अक-दूसरी तूं अपूठी
ईं धरती री सोनळ धूळ ।
श्रद्धा-सुमन : ११५
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