Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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शुभकामना
श्री हीरालाल शास्त्री मैं भाई श्री अगरचन्दजी नाहटाके साहित्यिक कार्यकी प्रशंसा चिरकालसे सुनता आ रहा था । कुछ समय पहले मेरा हैदराबादमें उनसे साक्षात्कार हुआ। तब मैं उनकी मौलिक प्रतिभासे अत्यन्त प्रभावित हुआ।
अभी नाहटा अभिनन्दन स्मारिकाकी विवरणिकाको देखनेसे मुझे मालूम हुआ कि जितना मैंने सुन रखा था या जितनी मैंने कल्पना कर रखी थी, उससे कई गुना ज्यादा काम भाई नाहटाजीके हाथ से हो चुका है। इतने बड़े काममें उनको अपने भतीजे श्री भंवरलालजी नाहटाका सहयोग भी मिला, यह अवश्य ही हर्ष का विषय है।
मैं श्री नाहटाजीकी प्रगल्भता और निष्ठाके लिए उनका सस्नेह अभिनन्दन करता है और उनकी उत्तरोत्तर अधिकाधिक सफलताके लिए अपनी हार्दिक शुभकामना प्रकट करता है।
साहित्यिक विभूति नाहटाजी
श्री मंगलदास स्वामी युगयुगान्तरोंसे हमारा यह आर्य संस्कृतिका जन्मदाता महान् भारत देश भूमण्डलमें अपना विशेष स्थान रखता आया है। यह पुण्यश्लोक पावन देश अपने अनेक प्रदेशको अपने अंचलमें लिये हुए है। इन प्रदेशोंमें अपनी विभिन्न विशेषताओंके कारण हमारा यह राजस्थान प्रदेश भी महान् गौरवशाली व समादरणीय प्रथम पंक्तिमें अपना विशिष्ट स्थान रखता है। राजस्थानकी वैसे तो ख्याति वीर-प्रसवाके रूपमें हैं पर इस पावन भ ने जिस प्रकार अनेक शौर्यशाली वीरोंको जन्म दिया उसी तरह इस भूमिने दानी-त्यागी-तपस्वी. भक्त, महात्मा, विद्वान्, कवि, रचनाकार, प्रभावी शासक-यति, व्रतियों व सतियोंको भी अगणित संख्या में जन्म दिया है। राजस्थानमें संस्कृत-प्राकृत, डिंगल, पिंगल में संचित व अप्रकाशित इतना प्राचीन साहित्य है जिसका कि अभी हमारे देशके साहित्यिकों का ही पूरा पता नहीं है। इस ओर अभी जिस प्रकारका ध्यान दिया जाना था वैसा ध्यान नहीं दिया गया है। खेद है कि इस उदासीनताके कारण दिन-प्रतिदिन प्राचीन साहित्यका लोप होता जा रहा है । मूर्तियों, चित्र, तथा अन्य कलाकृतियोंकी चोरी तथा प्राचीन साहित्यका व्यापार जोरों पर है जिससे इस अनुपम निधिको दिन-दिन क्षति पहुंचाई जा रही है। जिसकी रक्षाके लिये सतत जागरूक प्रहरी चाहिये। जैसे कि हमारे चरित नायक नाहटाजी हैं। इन प्राचीन साहित्यके परमोपासक, विनीत. मदभाषी, निरभिमानी, सतत साहित्य साधना के धनी नाहटाजीको जन्म देनेका गौरव इसी राजस्थानकी भमि को है। नाहटाजीकी जन्मस्थलीकी महत्ताका महत्त्व प्राप्त हुआ राठौर कुलभूषण महाराज वीकाजी द्वारा स्थापित बीकानेर नगरको नाहटाजीने अपनी उत्कृष्ट विविधताओंसे जन्मदातुनगरीके गौरवको गौरवशाली बनाने में अपना अथक प्रयोग किया है व कर रहे हैं। व्यक्तित्व
नाहटाजी बहुत ही सादगी-प्रिय व्यक्ति हैं। उनकी वेश-भूषा परम्परागत सामाजिक रीतिके अनुसार है। यदि कोई अपरिचित व्यक्ति पहिली बार नाहटाजी से साक्षात् करेगा तो शायद वह उनकी इस मारवाड़ी वेश-भूषाको देखकर इस भ्रान्ति में उलझेगा कि क्यों ? साहित्यका अनन्य उपासक तथा प्राचीन साहित्यकी
२१४ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रंथ
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