Book Title: Nahta Bandhu Abhinandan Granth
Author(s): Dashrath Sharma
Publisher: Agarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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इस ग्रंथके प्रारंभ में श्री नाहटाजीने महोपाध्याय धर्मवर्द्धनके व्यक्तित्व एवं कृतित्वके सम्बन्धमें विस्तृत जानकारी दी है । ये अठारहवीं शताब्दी के एक महान् विद्वान् संत थे और उन्होंने संस्कृत तथा राजस्थानी भाषाओं में काव्य रचना की है। इनकी पाँच बड़ी रचनाओंको छोड़कर अवशिष्ट समस्त उपलब्ध रचनाओंका समावेश इस ग्रन्थ में किया गया है, जो श्री नाहटाजी के अनेक वर्षोंकी खोज-शोध तथा परिश्रमका फल है । इस ग्रन्थकी भूमिका राजस्थानी सुप्रसिद्ध विद्वान् डॉ० मनोहर शर्माने लिखी है ।
१३. जिनराजसूरि कृति कुसुमांजलि
सत्रहवीं शताब्दिके उत्तरार्द्ध में खरतरगच्छ में श्री जिनराजसूरि नामक प्रसिद्ध आचार्य हुए हैं, जिन्होंने संस्कृत तथा राजस्थानी भाषाओंमें अनेक ग्रन्थोंकी रचना की है। उनमेंसे कतिपय उपलब्ध राजस्थानी काव्योंका प्रकाशन श्री नाहटाजीने इस ग्रन्थके द्वारा किया है । यह ग्रन्थ विक्रम संवत् २०१० में प्रकाशित हुआ है । इस ग्रन्थके प्रारम्भमें श्री नाहटाजीने श्री जिनराजसूरिके व्यक्तित्व एवं कृतित्वपर अच्छा प्रकाश डाला है । इस ग्रन्थ साहित्यिक अध्ययनके सम्बन्ध में प्रो० नरेन्द्र भानावतका एक लेख ग्रन्थके प्रारम्भ में प्रकाशित हुआ है।
१४. बीकानेर के दर्शनीय जैनमन्दिर
श्री नाहटाजीने बीकानेरके दर्शनीय जैनमन्दिरोंके सम्बन्ध में सामान्य जानकारी के लिए यह पुस्तिका लिखी है, जो विक्रम संवत् २०१२ में प्रकाशित हुई है । यह पुस्तिका एतद्विषयक ज्ञानके लिए बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई है ।
१५. मणिधारी श्री जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृति ग्रन्थ
खरतर-गच्छमें “दादाजी " के नामसे सुप्रसिद्ध चार आचार्योंमेंसे द्वितीय " दादाजी " का अष्टम शताब्दी समारोह गत वर्ष दिल्ली में बड़े पैमानेपर मनाया गया था । उस सुअवसरपर श्री नाहटाजी तथा उनके भतीजे श्री भंवरलालजी द्वारा सम्पादित इस ग्रन्थका प्रकाशन समारोह समिति द्वारा किया गया था। इस ग्रन्थके प्रथम खण्डमें विभिन्न विषयोंपर ४३ महत्वपूर्ण निबन्ध प्रकाशित किये गये हैं, जिनमें से २० निबन्ध इस ग्रन्थ विद्वान् सम्पादकों द्वारा लिखित हैं । इस ग्रन्थके द्वितीय खंडमें खरतरगच्छ साहित्य-सूची दी गयी है, जिसे विद्वान् सम्पादकोंने ४० वर्षोंकी खोज- शोध और परिश्रमके उपरांत तैयार की है और जो खरतरगच्छके सम्बन्धमें अनुसन्धान करनेवाले व्यक्तियोंके लिए बहुत ही उपयोगी है । इस ग्रन्थ में अनेक प्राचीन एवं अर्वाचीन चित्र भी दिये गये हैं, जिनसे उसकी शोभा में अभिवृद्धि हुई है ।
११२ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रंथ
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