Book Title: Kasaypahudam Part 06
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२] उत्तरपडिपदेसविहत्तीए सामित्तं
११५ अंतोमुहुत्तमोसरिय उक्कस्ससामित्तं दिणं, आउअबंधकाले जादमोहणीयक्खयादो उवरिमविस्समणद्धाए जादसंचयस्स बहुत्ताभावादो। सम्मामि० उक्क० पदेसवि० कस्स ? जो अण्णदरो गुणिदकम्मंसिओ सत्तमादो पुढवीदो ओवट्टिदूण सव्वलहुँ दंसणमोहक्खवगो जादो तेण जाधे मिच्छत्तं सम्मामिच्छत्ते पक्खित्तं तस्स सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सयं पदेसग्गं । सम्मत्तस्स तेणेव जाधे सम्मामिच्छत्तं सम्मत्ते पक्खित्तं ताधे तस्स सम्मत्तस्स उक्कस्सिया पदेसविहत्ती । णवूस० उक्क० पदेसविहत्ती कस्स ? अण्णद० गुणिदकम्मंसियस्स ईसाणं गदस्त चरिमसमयदेवस्स तस्स णवूसयवेदस्स उक्कस्सिया पदेसविहत्ती। इत्थिवेद० उक० पदेसवि० कस्स ? अण्णद० गुणिदकम्म० असंखे०वस्साउएसु उप्पन्जिय पलिदो० असंखे भागकालेण पूरिदइत्थिवेदस्स तस्स उक्क० इत्थिवेदपदेसवि०। पुरिस० उक्क० पदेसवि० कस्स ? अण्णद० गुणिदकम्मंसियस्स ईसाणदेवेसु णqसयवेदं पूरिदूण असंखेजवासाउएसु उववजिय तत्थ पलिदो० असंखे०भागेण कालेण इत्थिवेदं पूरिय तदो सम्मत्तं लभिदूण पलिदोवमट्ठिदिएसु देवेसु उववन्जिय तत्थ पुरिसवेदं पूरेदूण तदो चुदो मणुस्सेसु उवजिय सव्वलहुं खवगसेढिमारुहिय णqसयवेदं पुरिसवेदम्मि पक्विविय जम्मि इत्थिवेदो पुरिसवेदम्मि पक्खित्तो तम्मि पुरिसवेदस्स उक्कस्सयं पदेससंतकम्मं । कोधसंजलणस्स उकस्सिया पदेसविहत्ती कस्स ? जाधे पुरिसवेदस्स उकस्सपदेससंतकम्मं कोधसंजलणे उत्कृष्ट सामित्व दिया है, क्योंकि आयुबंधके कालमें भोहनीयका जो क्षय होता है उससे आयुबन्धके पश्चात्के विश्राम कालमें होनेवाला संचय बहुत नहीं होता। सम्यग्मिथ्थात्वकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्मा शवाला जीव सातवें नरकेसे निकलकर सबसे कम कालमें दर्शनमोहका क्षपक हुआ। वह जब मिथ्यात्वको सम्यग्मिथ्यात्वमें प्रक्षिप्त कर देता है तब सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म होता है। वही जीव जब सम्य ग्मिथ्यात्वको सम्यक्त्व प्रक्षित करता है तो उसके सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है। नपुसंकवेदको उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्मा शवाला जीव ईशान स्वर्गमें जाकर जब देवपर्यायके अन्तिम समयमें स्थित होता है तब उसके नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है। स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट विभक्ति किसके होती है ? जो गुणित काशवाला जीव असंख्यात वर्षकी आयुवाले मनुष्य-तियञ्चोंमें उत्पन्न होकर पल्यके असंख्यातवें भाग कालके द्वारा स्त्रीवेदका संचय करता है उसके खोवेदकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति होती है। पुरुषवेदकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जो गुणितकर्माशवाला जीव ईशान स्वर्गके देवोंमें उत्पन्न होकर नपुंसकवेदको पूरता है फिर असंख्यात वर्षकी आयुवाले मनुष्य तिर्यञ्चोंमें उत्पन्न होकर पल्यके असंख्यातवें भाग कालके द्वारा स्त्रीवेदको पूरता है। फिर सम्यक्त्वको प्राप्त करके पल्यकी स्थितिवाले देवोंमें उत्पन्न होकर वहां पुरुषवेदको पूरण करके च्युत होकर मनुष्योंमें उत्पन्न होकर सबसे लधु कालके द्वारा क्षपकश्रेणिपर चढ़कर नपुंसकवेदको पुरुषवेदमें प्रक्षिप्त करके जब स्त्रोवेदका पुरुषवेदमें क्षेपण करता है तब पुरुषवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म होता है। क्रोध संज्वलनकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति किसके होती है ? जब पुरुषवेदके
1. आप्रतौ 'उक्क०, पदेसवि० इथिवेदधिः' इति पाठः ।
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