Book Title: Kasaypahudam Part 06
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ कसाए उवसामिण तदोतिपलिदोवमिएसु उववरणो। तत्थ अंतोमुहुत्तावसेसे जीविकव्वए ति सम्मत्त घेत्त ण वेछावहिसागरोवमाणि सम्मत्तद्धमणुपालियूण मिच्छत्तं गंत ण णव सयवेदमणस्सेसु उववरणो । सव्वचिर संजममणपालिद ण खर दुमाढत्तो। तदो तेण अपच्छिमहिदिखंडयं संछहमाणं संछडू । उदो णवरि विस सो तस्स चरिमसमयणवुसयवेदस्स जहण्णयं पदेससंतकम्म।
२७४ एत्थ संजमासंजम-संजम-सम्मत्ताणं पडिवजणवारा सव्वुकस्सा ण होति, उक्कस्सेसु संतेसु णिव्वाणगमणं मोत्तण तिण्णिपलिदोवमब्भहियवेछावहिसागरोवमेसु भमणाणुववत्तीदो । तिण्णिपलिदोवमेसु किमट्ठमुप्पाइदो ? तत्थतणणव सयवेदस्स बंधाभावेण एई दिएसु संचिदपदेसग्गस्स परिसादणहूँ । तिपलिदोवमिएसु चेव सम्मत्तं किमिदि पडिवजाविदो ? ण, मिच्छत्तेण सह देवेसुप्पण्णस्स अंतोमुहुत्तकालब्भंतरे णसयव दस्स बंधे संते भुजगारप्पसंगादो त्ति । वछावहिसागरोवमाणि सम्मत्तद्धमणुपालियूण मिच्छत्तं किमिदि गदो ? णव॒सयव दमणुस्सेसु उप्पजणहुँ ।
उपशमा कर अनन्तर तीन पल्यकी आयुवाले जोवों में उत्पन्न हुआ। वहां जीवन में अन्तर्मुहूर्त शेष रहने पर सम्यक्त्वको ग्रहण किया । फिर दो छयासठ सागर काल तक सम्यक्त्वका पालन कर और फिर मिथ्यात्वको प्राप्त हो नपुसकवंदवाले मनुष्योंमें उत्पन्न हुआ। वहां सबसे अधिक काल तक संयमका पालन कर क्षपणाका आरम्भ किया। फिर उसने संक्रमित होनेवाले अन्तिम स्थितिकाण्डकका संक्रमण किया। उदयमें इतनी विशेषता है कि उसके अन्तिम समयमें नपुंसकवेदका जघन्य प्रदेशसत्कर्म होता है।
____६२७४. यहां संयमासंयम, संयम और सम्यक्त्वको प्राप्त करनेके बार सर्वोत्कृष्ट नहीं होते हैं, क्योंकि उनके उत्कृष्ट होने पर निर्वाणगमनके सिवा फिर तीन पल्य अधिक दो छयासठ सागर काल तक परिभ्रमण करना नहीं बन सकता है।
शंका–तीन पल्यवाले जीवोंमें किसलिए उत्पन्न कराया है ?
समाधान-वहां नपुसकवेदका बन्ध न होनेसे एकेन्द्रियोंमें संचित नपुंसकवेदके प्रदेशोंका क्षय करानेके लिये तीन पल्यकी आयुवाले जीवोंमें उत्सन्न कराया है।
शंका–तीन पल्यकी आयुवाले जीवोंमें ही सम्यक्त्व क्यों प्राप्त कराया है ?
समाधान नहीं, क्योंकि यदि मिथ्यात्वके साथ देवोंमें उत्पन्न कराया जाय तो अन्तर्मुहूर्त कालके भीतर नपुसकवेदका बन्ध होने पर भुजगारका प्रसंग प्राप्त होता है । यह न हो इसलिये तीन पल्य की आयुवाले जीवों में ही सम्यक्त्व उत्पन्न कराया है।
शंका-यह जीव दो छयाठस सागर काल तक सम्यक्त्वकालका पालन कर मिथ्यात्वको क्यों प्राप्त कराया गया?
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