Book Title: Kasaypahudam Part 06
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ इमा अण्णा परूवणा । ६ ३२१. पुव्विल्लपरूवणादो एसा परूवणा अण्णा पुधभूदा, परूविजमाणस्स भेदुवलंभादो।
* दोहि चरिमसमयसवेद हि तुल्लजोगेहि पद्ध' कम्मं तेसिं तं संतकम्मं चरिमसमयअणिल्लेविदं पि तुल्लं ।
$ ३२२. दोहि चरिमसमयसवे देहि तुल्लजोगेहि जं बद्धं कम्मं तं तुल्लमिदि संबंधो कायव्यो । सरिसे जोगे संते पदेसबंधस्स विसरिसत्ताणुववत्तीदो। तेसिं संतकम्म जं चरिमसमयअणिल्लेविदं तं पि तल्लं, अणियट्टिपरिणामेहि अधापवत्तसंकमेण कोधसंजलणे संकममाणपदेसग्गस्स समयं पडि दोहं पि समाणत्तादो। ण च समाणदव्वाणं समाणव्वयाणं सेसस्स विसरिसत्तं, विप्पडिसेहादो ।
8 दुचरिमसमयअणिल्लेविदं पितुल्लं । ६३२३. सुगममेदं, पुव्वमवगयकारणत्तादो।
ॐ एवं सव्वत्थ ।
६३२४. तिचरिमसमयअणिल्लेविदं पि तुल्लं। चदुचरिमसमयअपिल्लेविदं पि तुल्लं ति वत्तव्वं जाव बद्धपढमसमयो त्ति । ओकडणाए उदए णिवदिय गलमाणे दोण्हं
ॐ यह दूसरी प्ररूपणा है।
६३२१. पहली प्ररूपणासे यह प्ररूपणा भिन्न अर्थात् पृथग्भूत है, क्योंकि कथन किये जानेवाले विषयमें पूर्वोक्त प्ररूपणासे भेद पाया जाता है।
* तुल्य योगवाले अन्तिम समयवर्ती वेदवले दो जीवोंने जो कर्म बांधा वह समान है। तथा उनके जो सत्कर्म अन्तिम समयमें अवशिष्ट है वह भी समान है।
६३२२. समान योगवाले अन्तिम समयवर्ती वेदवाले दो जीवोंने जो कर्म बाँधा वह समान है इस प्रकार यहां सम्बन्ध कर लेना चाहिये । क्योंकि सदृश योगके रहते हुए प्रदेसबन्धमें असमानता बन नहीं सकती । तथा इन दोनों जीवोंका जो सत्कर्म अन्तिम समयमें निर्जीर्ण नहीं हुआ वह भी समान है, क्योंकि अनिवृत्तिकरणरूप परिणामोंके निमित्तसे अधःप्रवृत्तसंक्रमणके द्वारा क्रोध संज्वलनमें संक्रमणको प्राप्त होनेवाले प्रदेश प्रत्येक समयमें दोनोंके ही समान हैं। और यह हो नहीं सकता कि दो समान द्रव्योंमेंसे एक समान व्ययके होते हुए जो शेष रहे वह असमान होवे, क्योंकि ऐसा मानने में विरोध आता है।
ॐ उपान्त्य समयमें जो द्रव्य अवशिष्ट है वह भी समान है। ६३२३. यह सूत्र सुगम है, क्योंकि इसके कारणका ज्ञान पहले किया जा चुका है।
ॐ इसी प्रकार सर्वत्र जानना चाहिए।
६ ३२४. त्रिचरम समयमें जो द्रव्य अनिर्लेपित है वह भी समान है। चतुश्चरम समयमें जो द्रव्य अनिर्लेपित है वह भी समान है। इस प्रकार बन्ध होनेके पहले समय तक
१. श्रा० प्रती 'सरिसजोगे' इति पाठः ।
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