Book Title: Kasaypahudam Part 06
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
View full book text
________________
३१०
जयधवलासहिदे कमायपाहुडे [पदेसविहन्ती ५ ३४६. संपहि इममवणेदूण पुध दृविददुचरिमफालिं चरिमफालिपमाणेण कस्सामो। तं जहा–रूवगअधापवत्तमत्तदुचरिमफालीणं जदि एगा चरिमफाली लब्भदि तो सेढीए असंखे भागमेत्तदुचरिमाणं केत्तियाओ चरिमफालीओ लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए रूखूणअधापवत्तभागहारेण खंडिदसयलपक्खेवभागहारमेत्ताओ चरिमफालीओ लभंति १। ।
३४७. संपहि दुचरिमफालियाओ चरिम-दुचरिमपमाणेण कस्सामो। तं जहा-अधापवत्तमेतदुचरिमफालीणं जदि एगं चरिम-दुचरिमफालिपमाणं लब्भदि तो सेढीए असंखे०भागमेत्तदुचरिमाणं केत्तियाओ चरिम-दुचरिमफालीओ लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए चरिम-दुचरिमफालिपमाणं लब्भदि २ ।
६ ३४८. संपहि पुध दुविदसेढीए असंखे०भागमेत्तचरिमफालीओ दुचरिमफालिपमाणेण कस्सामो । तं जहा—एगचरिमफलियाए जदि रूवूणअधापवत्तभागहारमेत्तदुचरिमफालीओ लब्भंति तो सेढीए असंखेजदिभागमेत्तचरिमफालीणं किं लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए दुचरिमफालीओ लब्भंति ३।
६३४६. अब इसे घटाकर पृथक स्थापित द्विचरम फालिको अन्तिम फालिके प्रमाणरूपसे करते हैं। यथा-एक कम अधःप्रवृत्त भागहारप्रमाण द्वि चरम फालियोंकी यदि एक चरम फालि प्राप्त होती है तो जगणिके असंख्यातवें भागप्रमाण द्विचरम फालियोंकी कितनी चरम फालियां प्राप्त होंगी इस प्रकार त्रैराशिक करके फलराशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देनेपर एक कम अधःप्रवृत्तभागहारसे भाजित सकल प्रक्षेपके भागहारप्रमाण अन्तिम फालियां प्राप्त होती हैं १।।
__उदाहरण-एक कम अधःप्रवृत्तभागहार ९-१=८; द्विचरमफालि १५९४३२३; यदि ८४१५९४३२३= १२७५४५८४ चरम फालि तो सकल प्रक्षेपका भागहार ३६४१५९४३२३%= १६ चरम फालियां।
६३४७. अब द्विचरम फालियोंको चरम और द्विचरम फालियोंके प्रमाणरूपसे करते हैं । यथा-अधःप्रवृत्तभागहारप्रमाण द्विचरम फालियोंकी यदि एक चरम और द्विचरम फालिका प्रमाण प्राप्त होता है तो जगणिके असंख्यातवें भागप्रमाण द्विचरम फालियों में कितनी च
और द्विचरम फालियां प्राप्त होंगी, इसप्रकार त्रैराशिक करके फलराशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देनेपर चरम और द्विचरम फालियोंका प्रमाण प्राप्त होता है ।
उदाहरण-अधःप्रवृत्तभागहार ९; द्विचरम फालि १५९४३२३; यदि ९४१५९४३२३ = चरम और द्विचरम फालि १४३४८९०७ के तो ३६४:५९४३२३--३६ चरम और द्विचरम फालि।
६३४८. अब पृथक् स्थापित जगश्रेणिके असंख्यातवें भागप्रमाण चरम फालियोंको द्विचरमफालियोंके प्रमाणरूपसे करते हैं। यथा--एक अन्तिम फालिमें यदि एक कम अधःप्रवृत्तभागहारप्रमाण द्विचरम फालियां प्राप्त होती हैं तो जगश्रेणिके असंख्यातवें भागप्रमाण चरम फालियोंमें क्या प्राप्त होगा इस प्रकार फलराशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देने पर विचरम फालियाँ प्राप्त होती हैं ३ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org