________________ PEEEXI.EE (१)वसंघदन प सापक प्रमाण / पपपि सभी पारी मानके भावरण से म्यूमापित रूप में घिरेप और इससे ये अपने ही मस्तित्व का सद करते तथापि मिस समय उनकी एदि पोड़ी सी, प्र भी स्पिरो गाती रस समप उनको पास्फुरया होती है। 1 किमया स्फरसा कमी नही होती कि मैं नहीं। 'ससे सलग पामी निम्प होता कि मैं महीपापात: नहीं। इसी बात को मीराराचा मे मी कहासों मारमाऽस्ति स्वं प्रस्पेति न नाहमस्मीवि (प्रभा माम. 11) उसी निशप मोदी ससंबेदन (मारमनिमय) / (2) पापक प्रमार का प्रभाषा ऐसा कोई प्रमाणही मो मारमा के मस्तित्व का बाप (निपेप)करता है। इस पर पपपि पाशंका हो सकती। कि मन और इन्द्रियों द्वारा प्रात्मा का पालन होना पीसका बाप है। परंतु इसका समाधान सामापिसी विपप का पामक प्रभाव पडी मामा माताको रस विपय को मामले की राशि रखता और मप सब सामग्री मीर होने पर उसे भाप रन सके रिमारिहार्प-मॉम मिहीर - परेको ऐच सकतीपर रिस समप प्रकाय, समापवा मादि सामग्री राने पर मौका मिकी के परेको नरेने रस समय रसे उस विषय का पापा सममाना चाहिए / धियों समी मोतिष की प्राण शशि त परिमितमीतिर पदापी में भी स्पस मिपरी भोर निपात पिपर्यो ।बी ऊपर सपर से गान सकती।सम्म प पत्र माता समसमासा माससमasam OESPF JEEEEEE