________________ समEDEE-- - -- छठा पाठ -- (कर्मषाद) कम मोर मास्मा का अस्तित्व मानने पर ही निर्माण पर का प्रस्तित्व माना गा सफता। प्रब मनपा उपसित होता कि पासाप में कर्म किसे काय पनके मूल मेद पा 1) रचर मे कितने है। इस माम का समापान इस प्रकार है कर्म पुनम रसे करते मिस में रूप रस गम्म भौर : F स्पर्श / प्रपिवी पानी प्राप्ति और पाय पाम से बने। यो पुनसकर्म बनते ये एक प्रकार की सम्म एम मयमा पमित,जिसको इन्द्रियों पंच की सहायता से भी नहीवान सकतीं। सर्प परमारमा प्रथा परम-मधिपानबाजे पोगी जी ससस को देख सकते।बीयरे माप पपारद प्रहवीगाती तब उसे कर्म करते। म गरीर में सम्माफर कोई प्रति में मोरे यो परिसर शरीर में चिपक मातीसी प्रकार मिप्पाव कपाय पोग मादिसे जीव मदेशों में अब परिस्पन्द (सिस)ोता हर शिप्स माकारा में भारमा प्रदेशपहीभनम्तममम्स कर्मयोम्प पुल परमासुशीष के एफ एफ मनेग सापप - जावेस प्रकार जीप भीर कर्म का मापस में पम्प होता सप भीर पानी का सपा भाग का भीरसकेगो का सम्बन्योता है उसी प्रकार सीप मोर प. Bews9EB-या . PEEमममममा