Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08
Author(s): Atmaramji Maharaj
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Page 177
________________ BS- BETEEFIFICE P - - - - ----- ( 18 ) मर्य-कृषिकर्म पशुपासन मिफपट किपा राफिक अनुसार प्रदान करना (सदामत) प्रपा (पानी पान का स्थाम) पुण्य क्रिया माराम (पाप) लगाना बापासम्मति परना-पेशी कर्म पौ / ___ त्रिवर्णेपमीन कामाशीसकर्म पुएपपुटयान : रादाबाम् 43 | मर्याक्षस समिप भीर श्यों की सेवा करना पर कुपीरुप पर्म तथा मिनुमों की सेवा करना-येही कर्म पदों स किंरावा यो न रपति प्रसार 54 मर्प पा फ्पा रामाजोप्रया की रवा नहीं करता। दानावसानः कोपो प्रामयानाम् 45 मर्य-प्रासदों का कोप दान पर्यन्त ही होता। प्रयामागसाना कोपो गुस्याम् 46 मर्प-गुरमों का कोप नमस्कार पर्यम्त ही होता मात् विनय पूर्वक नमस्कार करने पर गुलमों का कोप शाम्तो माता। प्रापापसाना कोपो पधिपायाम् 7 मर्य-पषियों (पमामों) का काप मार सेने पर्पत रोताहै। प्रियवचनाबमानः कोपो पगिम्बनानाम् 58 ' यापारियों का कोप मिपयन बोसते ही 'शाम्त , माता। सामान्य

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