Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: 

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Page 191
________________ ABSTEम्मा -- -- -- से कुप शिक्षाएं अप्रत की जाती है। संसारस्यागी पुरुषों की महिमा परमो चिन लोगों में सब कुछ स्पाग दिया और मो तपस्थी जीपन व्यतीत करते धर्म शासनकी महिमा को भीर सप वातों से अधिक कर बताते 2 तुम वपस्वी लोगों की महिमा को नहीं माप सकते।। यह काम उतनादी कठिन पिना सब मुषों की गणना करना। देखो सिम लोगों ने परलोक साप सोफा मुहर बझा करने के बाद इसे स्पाग रियामकीपी मारिमा से पर पूणी जगमगा दी। दमो मो पुरुष अपनी सप इपका पति के माप अपनी पाँचों इन्द्रियों को इस धरा परा में रखता मिस तराापी कुरामारा सीमूव मिपा माता है वास्तव में बी स्वर्ग के पतों में बोने बोम्प पीय जितेन्द्रिय पुरुपकीशक्षिकासाची स्वयं बरामद। महापुरप बही यो मर्समय कापीका संपादन करते और पुर्षत मनुप्प , निमसे ये काम दोमहीसपते / देबो यो मनुप्प शप स्पर्श सप एम पीर गपनम पोप इन्द्रिय विपपों का पपादित मूस्प सममता पसारे ससार पर शासन करेगा। संसार मरधर्म प्रपसत्प पाल मदारमानों की मीमा की घोषणा परत है। त्पाप की बात पर बाप मदारमाभों पर / ) को एक परामर मी सासेना मसंग ---- --- - SPEECHERE - ..-----------

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