Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: 

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Page 201
________________ पEBEHREE ( 162 ) A मते मिलती है ममर पाल दिन पाहो वीरपि में से बिपामते मोसा करने से मिलती सपापभीरपहारपर। 0 मिन झागों का जीवन इस्या पर निर्भर है सममार लोगों की पि में मुखिोरो समान। १.देखो परमादमी जिसका सड़ा मा परीर पीपदार सामों से मरा भाई गुजरे जमाने में न पहान बालासा होगा पेसा अधिमान् साग फातेहैं। E-HEEFIEBETAH मित्रता १दुनिया में ऐसी कौन सी वस्तुसिसका बासिमपरमा इतना मुस्किम सितना कि पोस्तीका ! और दुश्मनों से में रक्षा करनेक सिप मित्रता के समान और कोन सा काम! 2 योग्य पुरपो की मित्रता परतीचम्फसा कसमान, मपर पहपकी दोस्ती परते ए पाद समान है। पोम्प पुरुषों की मित्रता पिम्प प्रबों क स्वारपाय समान हैमिनी पीने साप मुमारी पनिपता होती जापगी रतनी ही अधिक नियों तुम उमर मदर विमापी पढ़ने जगेगी। मित्रता का श्यरेसी पिगी करना ही परित पपईपापपरमार्म में जानेगे तो उसको रोकना और उसकी भासना करना ही मित्रता का पश्य। बार बार मिसना पौर सहा साप राना विमा पारी मीनपातोपपोपी पश्ता पी पिशो मित्रता रे 1 मम्मम्प को स्पिर पीर सुप पनाती है।

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