________________ AMITRAATMAImraneKIROIN ( 193 ) 6 हसी दिल्लगी करने वाली गोष्ठी का नाम मित्रता नहीं मत्रता तो वास्तव में प्रेम है जो हृदय को श्राल्हादित करता है। 7 जो मनुष्य तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीवत के वक्त साथ देता है, बस यही मित्र है। XEXXEMOCRATEST ८देखो, उस आदमी का हाथ कि जिस के कपड़े हवा इस उड़ गये है, कितनी तेजी के साथ फिर से अपने वदन को ढकने के लिये दौड़ता है ! वही सच्चे मित्र का श्रादर्श है जो मुसीबत में पड़े हुए आदमी की सहायता के लिये दौड़ कर जाता है। मित्रता का दरवार कहा पर लगता है ? बस वहीं पर कि जहा दिलों के बीच में अनन्य प्रेम और पूर्ण एकता है और जहा दोनों मिल कर हर एक तरह से एक दूसरे को उच्च और उन्नत बनाने की चेष्टा करें / 10 जिस दोस्ती का हिसाय लगाया जा सकता है उसमें hah एक तरह का कॅगलापन होता है / वह चाहे कितने ही गर्व पूर्वक कहे-मैं उसको इतना प्यार करता हूं और वह मुझे इतना चाहता है। मित्रता के लिये योग्यता की परीक्षा 1 इससे यढ़ कर वुरी यात और कोई नहीं है कि बिना परीक्षा किये किसी के साथ दोस्ती कर ली जाय क्योंकि एक वार मित्रता हो जाने पर सहदय पुरुप फिर उसे छोड़ नहीं a सकता। E X A ..--- -- ---