________________ KASAXCIRNARXXMARTNERIOXXRARAMATKARI ( 87 ) SMOSIXEXX में भी जानना चाहिए। क्योंकि वे दोनों पदार्थ स्वयं उस ज्ञान में से वचित ही रहते हैं / इसलिये पाच भूतों से चेतन की न उत्पत्ति मानना युक्तियुक्त नहीं है। इस प्रकार से अन्य वस्तुओं a के विषय में भी जानना चाहिए / , जो वस्तु स्वयं सत्यता रखती हो फिर उसका प्रभाव मान चठना,. यही एक भाव को प्रभाव मानना भाव असत्य का प्रथम भेद है / भाव असत्य का दूसरा भेद अभाव से म् भाव मानना है तथा असद् भावरूप है। जैसे कि किसी वस्तु में वह गुण तो नहीं है परन्तु विवक्षित गुण की ण असत्य कल्पना उस पदार्थ से सिद्ध करने की चेष्टा करना।। जैसे-ईश्वर कर्तृत्व विषय / अब पाठकों के सुवोध के लिये प्रश्नोत्तर रूप में यत्किश्चिन्मात्र ईश्वर कश्त्व विषय कहते है। प्रश्न-क्या जैनी लोग ईश्वर का अस्तित्व भाव मानते है? उत्तर-हॉ, मानते है। प्रश्न-ईश्वर में मुख्य मुख्य कौन से गुणों का सद्भाव माना जाता है? ___ उत्तर-अनन्त शान, अनन्त दर्शन, अक्षय सुख, और fa अनन्त शक्ति। प्रश्न-पया इन गुणों से अतिरिक्त और गुण भी ईश्वर में माने गए हैं। . उत्तर-हॉ, ये तो मुख्य मुख्य गुण बतलाए गए हैं किन्तु ईश्वर परमात्मा तो अनन्त गुणों का स्वामी है। - प्रश्न-जैन मत में ईश्वर के पर्याय चाची नाम कौन कौर EXERXXXXGEETEXTRACTICLES