________________ EXSEXXIIKARXanaxn.ranxxx XX HTRATIMEREKAXXEXERCISExam ( 165 ) य उत्पन्नः पुनीते वशं स पुत्रः 24 अर्थ-जिसके उत्पन्न होने से वश पवित्र होता है वही र पुत्र है अर्थात् जो कुल को पवित्र करता है वही पुत्र है। कुल की पवित्रता शुभाचरण से ही हो सकती है न तु कदाचार से। यो विद्याविनीतमतिः स बुद्धिमान् 25 अर्थ-जिस की बुद्धि विद्या विनय सम्पन्न है वही वुद्धिमान् है अर्थात् जिसकी बुद्धि शास्त्रानुसार है वही वुद्धिमान् है। अनधीतशास्त्रश्चक्षुष्मानपि पुमानन्ध एव 26 o अर्थ-जिस पुरुप ने शास्त्र नहीं पढ़ा वह चक्षु होने पर भी अन्धा ही है अर्थात् सद् असद् बोध से विकल है। नह्यज्ञानादपरः पशुरस्ति 27 __ अर्थ-अज्ञान से दूसरा कोई पशु नहीं है अर्थात् अज्ञानी पुरुष पशु के समान होता है। चरमराजकं भुवन नतु मूर्यो राजा 28 / अर्थ-जगत् राजा से विहीन अच्छा है किन्तु मूर्ख राजा a होना अच्छा नहीं है, क्योंकि वह न्याय और अन्याय को समझता ही नहीं। वरमज्ञानं नाशिष्टजनसेवया विद्या 26 अर्थ-अज्ञान ही अच्छा है किन्तु दुर्जन की सेवा से विद्या ग्रहण करनी अच्छी नहीं है कारण कि उसकी संगति / से पंडित भी पापाचरण करने वाले होजाते हैं / PI A-memer------ XXnxxexxwKEEKXxxnx