________________ SuSORRUPE EEET -माजEO सम वा त्रिवर्ग सेवेस 17 / / प्रर्वधर्म भर्प और काम-बनतीनों को सम माप से / / सेयन करता मा पुस्ती नाही होता / वात्पर्य पाहि-) मारा पाना पास्य दुखी नहीं हो सकता। इन्द्रिपमनामसाइनफसा हि विभूतया 18 मर्थ-विमुक्ति का पही फसमिस इन्दिप और मन / की प्रसपता रहे। नामितेन्द्रियायो कापि कार्यसिद्धिरस्ति 19 मर्प-जो पुरुष प्रमितेन्द्रिय उनके किसी भी कार्य की सिधिनी होती। कामासास्य नाम्सि पिफिस्सितम् 20 र मर्य-पामामत की कोई मी मीपण मी मर्यादा से कोई मी सम्बर से सुपर उपदेश अमानीगसता नतस्प धनं धर्मः शरीरं वा पस्पास्तिशीपस्पासहित 21: मर्य-कामासात म्पपित का पन धर्म और शरीर कप। भी नही। क्योंकि पाकामरूपी भनि मै मासकामा पन धर्म और शरीर का समदी कर देता है। पोऽनुरुवप्रतिसयोरिन्द्रयमस्पार्न स राखा 22 मर्य-रामा पपीता जो प्रमुहम सिर दरे ममान और प्रविहारे सिर पम के समान हो। रमो हि दुएनिग्रहः शिष्टपरिपाचन र पमी 25 मर्य-कुपोका मितहकरना भीर शिरों का पारना , पदी रामामा का धर्म है।